पौराणिक मान्यताओं में 51 शक्तिपीठों में सम्मिलित काशी स्थित मां विशालाक्षी मंदिर में नौवां कुंभाभिषेक अनुष्ठान वैदिक रीति-विधान से प्रारंभ हुआ। वास्तु एवं नवग्रह पूजा के उपरांत तमिलनाडु से आए 11 वैदिक ब्राह्मणों ने कुंभाभिषेक के प्रारंभिक विधान संपन्न कराए। उपस्थित भक्तों ने मंत्रध्वनि से भरे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का विशेष अनुभव किया।अनुष्ठान के प्रथम दिवस दोपहर में यज्ञ आयोजित किया गया, जिसके मुख्य आचार्य डॉ. शिवाश्री केपी गुरुकल रहे। उनकी आचार्यत्व में तमिलनाडु से आए वैदिक ब्राह्मणों ने संपूर्ण यज्ञ विधि सम्पन्न की। मंदिर के परिक्रमा पथ पर प्रतिष्ठा के लिए मां कामाक्षी, मां मीनाक्षी, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के विग्रह भक्तों के दर्शनार्थ प्रदर्शित किए गए।
मुख्य अनुष्ठान के दौरान एक दिसंबर को मंदिर शिखर पर स्थापित किए जाने वाले छह स्वर्ण कलशों का विधिवत पूजन भी संपन्न हुआ।मंदिर के महंत पं. राजनाथ तिवारी ने बताया कि मंदिर के जीर्णोद्धार, रंग-रोगन और अन्य धार्मिक कार्य श्रीकाशी नाट्टकोट्टई नगर क्षत्रम् मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा कराए जा रहे हैं। अनुष्ठान के दौरान संगीतिक प्रस्तुति के लिए वल्लभ ब्रदर्स के पांच सदस्यीय दल को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है।

