लखनऊ में पहली बार AK-47 चलने वाली सनसनीखेज वारदात ने उस समय पूरे यूपी को दहला दिया था। यह हमला कुख्यात अपराधी कालिया गैंग के इशारे पर हुआ था। टारगेट था—पूर्व मंत्री, जिनकी घर में घुसकर गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। हमलावरों ने AK-47 से अंधाधुंध फायरिंग की, जिसके चलते इलाके में घंटों दहशत बनी रही।जांच में सामने आया कि इस हमले के पीछे मुख्य चेहरा था रमेश यादव, जो बाद में अपराध जगत में ‘लखनऊ का बाप’ के नाम से कुख्यात हो गया।
बताया जाता है कि उसने राजनीतिक रसूख, गुंडागर्दी और हथियारों की सप्लाई चेन के दम पर शहर में अपनी पकड़ इतनी मजबूत कर ली कि कई गैंग उसके नाम से कांपते थे।पुलिस के अनुसार, हत्या की साजिश बड़ी प्लानिंग के साथ रची गई थी। AK-47 का इंतजाम, रेकी, भागने का रास्ता और हमले का समय सब कुछ पहले से तय था। वारदात के बाद पुलिस पर भारी दबाव बना और लंबे पीछा–पकड़ के बाद इस गैंग के कई सदस्य गिरफ्तार हुए, जबकि कालिया और रमेश यादव की तलाश में लगातार ऑपरेशन चलाया गया।यह मामला आज भी लखनऊ के अपराध इतिहास में एक टर्निंग पॉइंट माना जाता है, जब पहली बार राजधानी में इतनी हाई-फायरपावर वाली राइफल का इस्तेमाल हुआ और अपराध जगत के कई चेहरे उजागर हुए।

