नशीले कफ सिरप प्रकरण में एक बड़ा मोड़ सामने आया है। शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने इस मामले में संलिप्त बताए जा रहे 10 फर्मों का मुकदमा अपने हाथ में लेते हुए कई अहम तथ्य सामने रखे हैंअधिवक्ता ने बताया कि उनके पास पहुंचे सभी 10 फर्म संचालकों के दस्तावेजों की गहन जांच की गई है, और सभी कागजात पूरी तरह सही पाए गए। फर्मों ने संबंधित स्टॉकिस्ट से बाकायदा बिल के साथ माल खरीदा था। अधिवक्ता का स्पष्ट कहना है कि इसे "मौत का सिरप" बताना सरासर गलत है और इस तरह के बयान बाज़ार में छोटे व्यापारियों की छवि को खराब कर रहे हैं।
अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि यदि किसी स्थान पर अवैध भंडारण या किसी अन्य स्तर पर अनियमितता हुई है तो उसकी उचित जांच होनी चाहिए, और दोषी पाए जाने पर उसी के विरुद्ध कार्रवाई की जाए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सभी को एक ही तराजू में तौलना अनुचित है। उन्होंने कहा कि इससे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस की छवि भी धूमिल हो रही है।इसके साथ ही उन्होंने ड्रग विभाग के अधिकारियों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उनकी लापरवाही के कारण छोटे-छोटे व्यापारी और स्थानीय फर्में भारी नुकसान उठा रही हैं।
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