लखनऊ में आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम सामाजिक एकता, पारदर्शिता और भव्य व्यवस्थाओं के कारण चर्चा का केंद्र बना रहा। इस कार्यक्रम में कुल 409 दूल्हा-दुल्हनों की बायोमैट्रिक प्रणाली के जरिए एंट्री कराई गई, जिससे फर्जीवाड़े पर रोक लगी और पात्र लाभार्थियों को ही योजना का लाभ मिल सका। आधुनिक तकनीक के उपयोग ने इस आयोजन को प्रदेश के सबसे सुव्यवस्थित सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में शामिल कर दिया।समारोह में 8 मुस्लिम जोड़ों ने इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार निकाह पढ़ा, जबकि शेष जोड़ों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सात फेरे लिए। एक ही मंच पर अलग-अलग धर्मों की परंपराओं का पालन होते देख गंगा-जमुनी तहजीब की सुंदर झलक नजर आई। आयोजन स्थल पर धार्मिक सौहार्द और आपसी भाईचारे का माहौल बना रहा।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और गणमान्य अतिथि शामिल हुए। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल, स्वयंसेवक और महिला कर्मियों की तैनाती से आयोजन पूरी तरह व्यवस्थित रहा। दूल्हा-दुल्हनों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए गए थे।भोजन व्यवस्था भी इस आयोजन की खास पहचान बनी। समारोह में शामिल मेहमानों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जहां खाने के लिए करीब 10 हजार लोगों की लंबी कतार देखने को मिली। साफ-सफाई और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया। भोजन वितरण के लिए अलग-अलग सेक्शन बनाए गए थे ताकि किसी को परेशानी न हो।
सामूहिक विवाह योजना से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बड़ी राहत मिलती है। एक ही स्थान पर विवाह संपन्न होने से खर्च कम होता है और समाज में समानता का संदेश जाता है। इस आयोजन ने न सिर्फ जरूरतमंद परिवारों को सहारा दिया, बल्कि सामाजिक एकजुटता और आपसी सौहार्द की मजबूत मिसाल भी पेश की।आयोजकों के अनुसार, भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों को और अधिक व्यापक और तकनीक-संपन्न बनाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद परिवारों को इसका लाभ मिल सके।

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