बीएचयू में विश्व मृदा दिवस 2025 – शहरी मिट्टी को बचाने का मजबूत संकल्प

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान (IAS) में विश्व मृदा दिवस 2025 उत्साह और जागरूकता के वातावरण में मनाया गया। भारतीय मृदा विज्ञान सोसायटी (ISSS) की वाराणसी शाखा के सहयोग से आयोजित इस समारोह का मुख्य वैश्विक विषय “स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी” रहा। कार्यक्रम का उद्देश्य बढ़ते शहरीकरण के बीच मिट्टी के स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूलन और जनस्वास्थ्य में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना था।आईएएस के सेमिनार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, शिक्षकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। मुख्य अतिथि के रूप में संरक्षक वन, वाराणसी डॉ. रवि सिंह (IFS) उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. यू.पी. सिंह, निदेशक IAS ने की।कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय संस्थापक की प्रतिमा पर माल्यार्पण और कुलगीत के साथ हुई। स्वागत भाषण में प्रो. जे. यादव, विभागाध्यक्ष (SSAC) ने शहरी विस्तार के बीच मिट्टी की गुणवत्ता बचाने हेतु बहु-विषयक प्रयासों और वैज्ञानिक नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया।

विषय प्रस्तुति के दौरान प्रो. एन. डे ने शहरी प्रदूषण, अव्यवस्थित निर्माण और अनुचित भूमि उपयोग को मिट्टी क्षरण का प्रमुख कारण बताते हुए नीति-निर्माताओं से शहरी नियोजन और अपशिष्ट प्रबंधन में ‘मृदा संरक्षण’ को प्राथमिकता देने की अपील की।कार्यक्रम में पोस्टर, स्लोगन और क्विज़ प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। पोस्टर प्रतियोगिता का मूल्यांकन प्रो. एन. डे, प्रो. ए.के. घोष और प्रो. पी.के. शर्मा ने किया, जिनमें छात्रों ने शहरी मिट्टी स्वास्थ्य पर कई नवाचारपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। क्विज़ का संचालन प्रो. ए. रक्षित ने किया।मुख्य संबोधन में डॉ. रवि सिंह ने अनियंत्रित शहरी विस्तार, अपशिष्ट संचय और कार्बनिक पदार्थों की कमी को शहरी मिट्टी के गिरते स्वास्थ्य का मुख्य कारण बताया। उन्होंने पारिस्थितिक सिद्धांतों पर आधारित रिजनरेटिव सॉइल मैनेजमेंट अपनाने की जरूरत पर जोर दिया।विशेष अतिथि अनिल सिंह (सृजन सोशल डेवलपमेंट ट्रस्ट) ने जनभागीदारी, वृक्षारोपण और पारंपरिक वनस्पति ज्ञान—विशेषकर सिंदूर पौधे—के महत्व को रेखांकित किया।अध्यक्षीय remarks में निदेशक प्रो. यू.पी. सिंह ने कहा कि स्वस्थ, जलवायु-स्मार्ट और टिकाऊ शहरों की नींव शहरी मिट्टी के सुदृढ़ स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। उन्होंने समाज में ‘मृदा साक्षरता’ बढ़ाने की दिशा में सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता जताई।समापन address में प्रो. पी.के. शर्मा, सचिव (ISSS वाराणसी चैप्टर) ने मृदा सूक्ष्मजीवों की महत्ता पर प्रकाश डाला, जो पारिस्थितिकी, जैव विविधता और मानव-प्राणी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रणव और अनुपमा ने किया, जबकि आयोजन की सफलता का श्रेय डॉ. ए.एम. लटारे और विद्यार्थियों की टीम को दिया गया।बीएचयू में आयोजित विश्व मृदा दिवस 2025 ने यह स्पष्ट संदेश दिया—भविष्य के स्वस्थ शहरों की शुरुआत, स्वस्थ मिट्टी से ही होती है।



Ktv News Varanasi

Greeting from KTV Channel, Varanasi Leading News and Social content Provider

Post a Comment

Previous Post Next Post