कड़ाके की ठंड के बीच मौनी अमावस्या पर लाखों ने आस्था की डुबकी लगाई मौनी अमावस्या पर शनिवार को लाखों लोग मोक्षदायिनी गंगा की अवरिल धारा में आस्था की डुबकी लगाने पहुँचे गंगा घाटों पर भोर से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। लोगों ने सुबह-सुबह कड़ाके की ठंड के बीच गंगा स्नान किया। बारिश और कड़ाके की ठंड में लोगों की आस्था को डिगा नहीं सकी और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर पहुंचकर स्नान कर दान पुण्य किया शास्त्रों के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का बहुत महत्व होता है मौनी अमावस्या के दिन ही मनु ऋषि का जन्म हुआ था
इसलिए इसे मोनी अमावस्या कहा जाता है एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मौन रहकर ईश्वर की साधना की जाती है इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है इस मान्यता के अनुसार श्रद्धालुओं ने मौन रहते हुए गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई वाराणसी के दशाश्वमेध, अस्सी, पंचगंगा आदि घाटों पर काफी भीड़ रही। महेश श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन सतर्क रहा। घाटों पर पुलिस ने निगरानी रही। वहीं एनडीआरएफ व जल पुलिस की टीम मौजूद रही। श्रद्धालुओं को गहरे पानी में न जाने की हिदायत देते रहे।
इसी कड़ी में अस्सी घाट पर बटुक महाराज से बात करने पर उन्होंने बताया की ये माघ का महीना है और इसी माघ महीने में मौनी अमावस्या का स्नान पड़ता है इसी माघ महीने में पूरे माह लोग कल्पवास करते हैं आज जो लोग प्रयागराज में कल्पवास करते है वो भी काशी आकार बिना कुछ बोले मौन रहकर स्नान करते है और स्नान के बाद जितना हो सके दान और पुन्न करते हैं फिर मंदिरों में जाकर पूजा करने के बाद मौन व्रत तोड़ते हैं