मध्य प्रदेश के भोपाल से आये बाबा बटेश्वर कीर्तन समिति के लोग सोमवार शाम ज्ञानवापी के छत्ता द्वार से दशाश्वमेध घाट तक पहुंचे, जिसे देखकर हर भक्त रुक गये।
अपने शंख, ढोल, मंजीरा, डमरू और झालो से शिव भक्तों ने यात्रा निकाली, कीर्तन और जयकारों से वातावरण को शिवमय बनाया, लोगों ने कलाकारों का दर्शन किया और कई भक्तों को तो नाचने पर मजबूर कर दिया। इन शिव भक्तों ने रविवार को बाबा के दरबार में दो घंटे तक लयबद्ध नादार्चन किया था
सोमवार ही को चित्रित किया गया है, जिसमें शंख, डमरू, झाल व मंजीरा के साथ हर हर महादेव का जयघोष शामिल है। काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से बांसफाटक व गोदौलिया होते हुए दशाश्वमेध राजधानी।
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