श्रावण मास के तीसरे गुरुवार को परम्परा अनुसार श्री देव गुरु बृहस्पति भगवान का जल विहार श्रृंगार हुआ। जिसमें बाबा की दिव्य झांकी का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम देवगुरु बृहस्पति भगवान को पंचामृत स्नान 11 ब्राह्मणों द्वारा किया गया।
स्वर्ण मुखौटा व छत्र चांदी के अष्टधातु के साथ बाबा को पालना पर विराजमान किया गया। मुख्य द्वार को अशोक की पत्ती, कामिनी पत्ती एवं रंग बिरंगे विद्युत झालर से पूरे प्रांगण को सजाया गया। प्रातःकाल 4 बजे मंगला आरती अजय गिरी द्वारा सम्पन्न कराया गया। सन्तोष गिरी द्वारा भोर आरती रूद्राभिषेक के साथ सम्पन्न किया गया जिसमें गिरी परिवार द्वारा भोग प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर सुबह से ही भक्तों ने पहुँचकर बाबा की मनोरम झांकी का दर्शन किया और सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर बाबा के जयघोष से गूंजता रहा। देर रात्रि तक भक्तों ने पहुंचकर बाबा के चरणों में हाजिरी लगायी।