साल 1921 में अंग्रेजों के दमन के दौर में पंद्रह साल के क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद पर वाराणसी सेंट्रल जेल में जिस जगह कोड़े बरसाए गए थे, उस जगह को संरक्षित किया गया हैं। और वहा पर रोजाना उनकी याद में उनके प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर माल्यार्पण किया जाता हैं। वही केंद्रीय कारागार परिसर में ही अब वहां पर उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है। इस प्रतिमा का अनावरण खुद सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया है।
जिस स्थान पर यह प्रतिमा स्थापित हुई है, वहां पर अंग्रेजों ने साल 1921 के दिसंबर महीने में अदालत के फैसले के बाद आजाद जी पर 15 कोड़े बरसाए थे। चंद्रशेखर को ‘आजाद’ नाम एक खास वजह से मिला। चंद्रशेखर जब 15 साल के थे तब उन्हें किसी केस में एक जज के सामने पेश किया गया।
वहां पर जब जज ने उनका नाम पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है’। जज ये सुनने के बाद भड़क गए और चंद्रशेखर को 15 कोड़ों की सजा सुनाई, यही से उनका नाम आजाद पड़ गया। चंद्रशेखर पूरी जिंदगी अपने आप को आजाद रखना चाहते थे।
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