भारत कला भवन संग्रहालय द्वारा 9वें हथकरघा दिवस के उपलक्ष्य में केंद्रीय कक्ष में एक विशेष प्रदर्शनी संग्रह, घर घर संग्रहालय का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन कबीर एवं राष्ट्रीय पुरस्कार से विभूषित उस्ताद बुनकर हाजी शाहिद जुनैद ने किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना "घर घर संग्रहालय' पर आधारित अपने आप में अनोखी इस प्रदर्शनी में भारत कला भवन द्वारा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिवार में कार्यरत अध्यापको/ कर्मचारियों पुरुष / महिला के परिधान व वस्त्र आदि जिससे उनके जीवन की कोई महत्वपूर्ण घटना या स्मृति जुड़ी थी, को आमंत्रित किया गया था। इस क्रम में प्राप्त प्रदर्शनी में कुल 21 वस्तुएं शामिल की गई जिनमें जामदानी अंगरखा, बनारसी एवं बालूचरी साड़ियाँ ओढ़नी कांथा, मन्नत की चादर, तकिये का गिलाफ, थालपोश एवं तोरण इत्यादि वस्तुएं प्रदर्शित की गई।
इस प्रदर्शनी में प्रो० अंजन चक्रवर्ती प्रो० कविता शाह, प्रो० मृदुला सिन्हा, डॉ अनिंदिता चक्रवर्ती, डॉ राजीव मंडल एवं डॉ जसमिंदर कौर द्वारा संग्रहीत वस्त्रों को प्रदर्शित किया गया।।इस प्रदर्शनी का उद्देश्य हमारे घर में रखी पुरातन वस्त्रों के महत्व की अभिव्यक्ति है। उदाहरण स्वरूप कई बार घर मे रखी पुरानी बनारसी साड़ियों के महत्व से अनभिज्ञ होकर हम उनमें लगी थोड़ी बहुत सोने चाँदी की जरी को महत्त्वपूर्ण समझते हुए उन्हें जला देते है। पर यह नहीं जान पाते कि ऐसा करने से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत एवं परम्परा की अपूर्ण क्षति कर रहे होते है। एक वस्त्र की बुनाई के कई आयाम होते है। वे आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक इतिहास के निर्माण में सहायक हो सकते हैं। इस राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर आयोजित प्रदर्शनी की परिकल्पना भारत कला भवन की उप निदेशका डॉ जसमिंदर कौर द्वारा की गई जबकि क्यूरेशन डॉ प्रियंका चन्द्रा एवं प्रदर्शन श्री विनोद कुमार ने किया।इस प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में प्रो० मधु तपाड़िया, प्रो० मृदुला सिन्हा, डॉ शांति स्वरूप सिन्हा, डॉ ज्योति एवं भारत कला भवन के समस्त कर्मचारीगण एवं विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएँ मौजूद रहे।