काशी में गंगा घाटों में भारी संख्या में दूर दूर से पहुंचे लोग, पितरों के आत्मा की शांति के लिए किया पिंडदान

इस समय पितृपक्ष चल रहे हैं। सनातन धर्म में पितृपक्ष का बेहद महत्व होता है। पंचांग के अनुसार इसकी शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से होती है। वहीं इसका समापन अश्विन मास की अमावस्या पर होता है। 15 दिवसीय इस पखवाडे़ मे पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार के लोगों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित है। वही काशी मोक्ष की नगरी कही जाती है ऐसे में इस 15 दिवसीय पखवाडे़ का यहा काफी महत्व है । 

 पितरों की मुक्ति के लिए लोग दूर दराज से काशी में श्रद्ध कर्म करने के लिए आते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ करते हैं। जहाँ एक ओर काशी के गंगा घाटो पर लोग तर्पण पिंडदान इत्यादि कर रहे है तो वही पिशाच मोचन कुंड पर भी लोगो की काफी भीड़ हो रही है। घाटो पर पुरोहितो द्वारा सभी अनुष्ठान संपन्न कराए जा रहे हैं । सुबह से ही लोगो की काफी भीड़ गंगा तट पर देखने को मिल रही है। वही घाट पर मौजूद पुरोहित ने इस विषय में विस्तार से जानकारी दी।

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