काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साहित्यिक-सांस्कृतिक मुक्ताकाशीय मंच 'पुलिया प्रसंग' की द्वितीय वर्षगांठ का आयोजन आई.आई.टी बीएचयू की पुलिया पर रविवार को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बीएचयू हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और कहानीकार प्रो.बलिराज पाण्डेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो श्रद्धानंद ने की। इस अवसर पर हिंदी विभाग,बीएचयू के शिक्षक डॉ. प्रभात कुमार मिश्र द्वारा लिखित आलोचना पुस्तक 'आलोचना के सम्मुख' का लोकार्पण भी किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो.बलिराज पाण्डेय ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से विद्यार्थियों में संस्कार पैदा होते हैं और उनमें संकोच का परिहार होता है। पुलिया प्रसंग में शास्त्र को छोड़कर लोक को अपनाया गया है जो इसे और अधिक संवादधर्मी बनाता है जहाँ सभी को स्वतंत्र रूप से अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर मिलता है।
पुलिया प्रसंग के माध्यम से जीवन को जीने का एक ढंग मिलता है कि कैसे अकुंठ भाव जीवन जिया जाता है। हम अपने पक्ष और विपक्ष को समझें और अपनी जीवनदृष्टि को प्राप्त करें यह अवसर हमें पुलिया प्रसंग प्रदान करता है।इस अवसर पर आपने प्रो.कुंवरपाल सिंह से सम्बंधित और कई अन्य संस्मरण को भी साझा किया।स्वागत वक्तव्य मे पुलिया प्रसंग के संरक्षक प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि पुलिया एक ठौर है, कोई ठिकाना नहीं है। पुलिया से जीवन को दिशा देने वाले रास्ते निकलते हैं। यह कोई निर्मिति नहीं जो न तो किसी एक के लिए है और न किसी एक की है। यहाँ संवाद के माध्यम से हम अतीत, आगत और अनागत तीनों से सामंजस्य स्थापित करते हैं इस अवसर पर डॉ. शैलेंद्र सिंह तथा कार्डियोलॉजी विभाग,बीएचयू के डॉ. संतोष ने भी अपने विचार रखे।कार्यक्रम में चर्चित कवि सुभाष राय द्वारा लिखित कविता पुलिया गान का सस्वर पाठ शोध छात्र उदय पाल ने किया तथा शोध छात्र सुधीर गौतम ने बाँसुरी वादन भी किया।इस अवसर पर पुलिया प्रसंग पर युवा आलोचक डॉ. विंध्याचल यादव के लिखे लेख का पाठ शोधार्थी अक्षत पाण्डेय द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विंध्याचल यादव ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो.देवेंद्र मिश्र ने किया। वर्षगांठ के इस भव्य कार्यक्रम में रामशंकर मिश्र,डॉ. सतीश कुमार, डॉ. सुनील के साथ पुलिया प्रसंग के सभी साथियों की उपस्थिति रही।