प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वर्वेद महामंदिर का किया उद्घाटन, दी करोड़ की सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दूसरे दिन चौबेपुर इलाके के उमरहा में बने स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन किया गया। विहंगम योग संस्थान के प्रणेता संत सदाफल महाराज की ओर से इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। संत सदाफल महाराज के विश्व के दर्जनों देशों में आश्रम हैं। वाराणसी का यह आश्रम सबसे बड़ा है। करीब 20 वर्षों से इस आश्रम के निर्माण की योजना पर काम किया जा रहा है। मकराना मार्बल से बने इस मंदिर की खासियत की चर्चा हर तरफ हो रही है। इसे स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना करार दिया जा रहा है। सात मंजिला यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर कहा जा रहा है। इस मंदिर में 20 हजार लोग एक साथ योग और ध्यान कर सकते हैं। यह मंदिर 64 हजार वर्गफीट में बना हुआ है। इसकी ऊंचाई 180 फीट है।


वही पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब मैंने स्वर्वेद महामंदिर का दौरा किया तो मैं मंत्रमुग्ध हो गया… वेदों, उपनिषदों, रामायण, गीता और महाभारत की दिव्य शिक्षाओं को स्वर्वेद महामंदिर की दीवारों पर चित्रों के माध्यम से चित्रित किया गया है..” भारत की आध्यात्मिक संरचनाओं के आसपास ही हमारी शिल्प और कला ने अकल्पनीय ऊंचाइयों को छुआ. यहां से ज्ञान और अनुसंधान के नए मार्ग खुले. उद्यमों और उद्योगों से जुड़ी असीम संभावनाओं का जन्म हुआ. आस्था के साथ-साथ योग जैसे विज्ञान फले-फुले, और यहीं से पूरे विश्व के लिए मानवीय मूल्यों की अविरल धाराएं भी बही. गुलामी के कालखंड में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया, उन्होंने सबसे पहले हमारे प्रतीकों को ही निशाना बनाया. आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण आवश्यक था. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही है. आज महाकाल महालोक हमारी अमरता का प्रमाण दे रहा है. आज केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है. बुद्ध सर्किट का विकास करके भारत एक बार फिर दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर आमंत्रित कर रहा है.


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वर्वेद मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है. इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है. वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं. इसलिए ये मंदिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है


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