महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के उत्सव का क्रम विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ हो गया है। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा के रजत विग्रह का प्रतीक आगमन हुआ। वही आज दुसरे दिन बाबा श्री काशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पहुंची। बाबा का संजीव रत्न मिश्र ने विशेष राजसी-स्वरूप में शृंगार कर भोग लगाया। इसके उपरांत आरती उतारी।
इस अवसर पर मेहंदी की रस्म अदा हुई । नेहा वर्मा के साथ ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाए गए।
गीत के बोल थे ‘मेहदी राचन लागी भोले के हाथो में’। इससे पूर्व गवनहारियों ने टोली ने बाबा की पंचबदन प्रतिमा के समक्ष मंगल गीत गाए। पारंपरिक शिवगीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान किया गया। साथ ही दूल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी की जा रही थी। मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि विवाह के लिए तैयारियां कैसे की जा रही हैं। नंदी, शृंगी, भृंगी आदि गण नाच नाच कर सारा काम कर रहे हैं। शिव का सेहरा और पार्वती की मौरी कैसे तैयार की जा रही है।