आर्य महिला पी.जी. कॉलेज के सभागार में प्रसिद्ध एवं वरिष्ठ गज़लकार का.हि.वि.के विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप द्वारा रचित गजल संग्रह 'बारूद के बिस्तर पर' पुस्तक का विमोचन किया गया l इस अवसर पर पुस्तक परिचर्चा में प्रो. वशिष्ठ अनूप ने हिंदी ग़ज़लों की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "यह गज़लें हमारे समय के बहुआयामी यथार्थ और अनेकानेक चुनौतियों से रूबरू होकर उनसे सीधी रचनात्मक मुठभेड़ करती हैं। इन ग़ज़लों के एक-एक शेर में आवाम की बेचैनी, समाज की निःसंगता, अकेलापन, रिश्तों का विखंडन, सियासत के प्रपंच, बड़ी सहालियत से व्यक्त हुए हैं, वैचारिकी इसके रंग रेशे से में शामिल है"।
विशिष्ठ वक्ता प्रो.सूरज पालीवाल, महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. उमापति दीक्षित विभागाध्यक्ष, नवीन एवं भाषा प्रसार विभाग, आगरा ने प्रो. वशिष्ठ अनूप द्वारा रचित ग़ज़लों की भावपूर्ण प्रस्तुति देकर सभी का मनमोह लिया ।मुख्य वक्ता प्रो. अजय तिवारी हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने पुस्तक परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी ग़ज़ल ने लगभग 50 दशकों के सफर में अपनी कथ्यात्मकता तथा विशिष्ट अभिव्यंजना से एक अलग पहचान बनाई है, आज की परिस्थितियों, बदलते जीवन मूल्यों और पारंपरिक संबंधों को हिंदी ग़ज़ल ने बड़ी ही खूबसूरती से दर्शाया है l प्रो . सुमन जैन, हिंदी विभाग, महिला महाविद्यालय, ने समकालीन गज़ल पर प्रकाश डाला। प्रो . भावना त्रिवेदी राजनीति शास्त्र विभाग, आर्य महिला पीजी कॉलेज, ने हिंदी ग़ज़ल की विकास यात्रा पर विस्तृत प्रकाश डाला।
इस अवसर पर उपस्थित विशाल राव तथा एम.ए. तृतीय वर्ष की छात्रा साक्षी कुमारी ने ग़ज़लों की मनमोहक प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया । कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ शशिकांत दीक्षित ने किया ।अतिथियों का स्वागत डॉ. मीनाक्षी मिश्रा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अपर्णा पांडे ने किया । कार्यक्रम का शुभारंभ महापुरुषों के तैल चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवलन से हुआ। संगीत विभाग की छात्राओं ने कुल गीत और मंगलाचरण की प्रस्तुति दी । इस अवसर पर प्राचार्या प्रो. रचना दुबे, अन्य विभाग की शिक्षिकाएं तथा लगभग 100 छात्राएं उपस्थित थीं । कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुचिता त्रिपाठी ने किया।