शंकराचार्य घाट पर वैदिक विद्यार्थियों ने मंगलाचरण और सूर्य अर्घ्य के साथ नव संवत्सर का किया आगाज

नव संवत्सर के अवसर काशी के शङ्कराचार्य घाट स्थित श्रीविद्यामठ में ज्योतिष्पीठाधीश्वर शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती ने सनातनी पञ्चाङ्ग व शङ्कराचार्य दिनदर्शिका का लोकार्पण किया तथा इस अवसर पर शङ्कराचार्य जी महाराज ने विश्व के समस्त सनातनियों के नाम अपना सन्देश जारी किया।

स्वामि अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने विक्रम संवत् 2081 चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा नव संवत्सर को सम्पूर्ण विश्व के सनातनियों को सन्देश जारी करते हुए कहा कि काल अनन्त है। उसकी कलना बस स्वयं को सन्तोष देना है। अपने सन्तोष के लिए हमने काल के काल्पनिक विभाजन किए हैं। इकाइयां बनाई हैं। हम गिनकर बताते हैं कि हम कितने पुराने हैं। हालाँकि हमारे दर्शन की दृष्टि में नवीनता और पुरातनता जैसी कोई वस्तु वास्तविक नहीं है। वर्तमान संसार में अपने को पुरातन कहकर अपने को श्रेष्ठ संपादित करने वालों को हम बताना चाहते हैं कि यह संवत्सर जिसका आज शुभारम्भ हो रहा है।

वह वर्तमान सृष्टि के 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 126वां है। इतने दिनों से हम प्रतिदिन अपनी सन्ध्या और पूजा के सङ्कल्प में कालगणना करते आ रहे हैं। इस संवत्सर का आरम्भ पिङ्गल नाम से होगा। 11 दिन बाद कालकृत आकर लगभग पूरे वर्ष रहेगा और अन्त में फाल्गुन मास की अमावस्या को सिद्धार्थ संवत् के रूप में परिवर्तित हो जाएगा । शङ्कराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि नव संवत्सर की शुरुआत वैदिक विद्यार्थियों ने मङ्गलाचरण से किया। जिसके अनन्तर श्रीकृष्ण कुमार तिवारी ने साथी कलाकारों के साथ गणेश वन्दना की प्रस्तुति की।

इसके पश्चात सुर्यार्घ्य दिया गया व वैदिक विद्यार्थियों ने सूर्य प्रणाम किया। शङ्कराचार्य जी महाराज द्वारा लोकार्पित पञ्चाङ्ग के सम्पादक प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी ने नव संवत्सर का फल श्रवण कराया। इसके बाद ध्वजा पूजन, ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, राष्ट्रनदी गंगा गान, पथ संचलन हुआ। महेंद्र प्रसन्ना का साथी कलाकारों संग शहनाई वादन,भजन के बाद राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता डा पी.एन. मिश्रा उपस्थित थे।कार्यक्रम का सञ्चालन साध्वी पूर्णाम्बा ने किया। संयोजन देवी शारदाम्बा, ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द, ब्रह्मचारी परमात्मानन्द ने किया।


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