श्रावण पूर्णिमा पर कर्दमेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों ने नवाया शीश, विविध कार्यक्रम हुए आयोजित

वाराणसी में स्थित कर्दमेश्वर महादेव मंदिर पूर्व मुखी है। इस मंदिर में कर्दम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इसलिए इस मंदिर का नाम कर्दमेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। मंदिर में एक बड़ा कुंड भी है। जिसका नाम कर्दम कुंड है। मान्यता है कि इस सरोवर का निर्माण कर्दम ऋषि के अश्रुओं से हुआ था। 

भगवान शिव के त्रिशुल पर टिकी काशी, दुनिया के अन्य शहरों से बिल्कुल अलग अद्भुत और अलौकिक है। यहां स्थापित सबसे प्राचीन कर्दमेश्वर महादेव मंदिर मुगलों की आखिरी निशानी है।मान्यता है कि यह काशी का सबसे प्राचीन मंदिर है। कंदवा गांव में स्थित होने के कारण इस मंदिर को कंदवा महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 12 वीं सदी में हुआ था। इसे गढ़वाल राजाओं ने बनवाया था। 

कर्दमेश्वर महादेव मंदिर नागर स्थापत्य कला का उदाहरण है। यह दिव्य स्थल कर्दम ऋषि की तपोस्थली है। बनारस की प्रसिद्ध पंचक्रोशी यात्रा के पथ का यह पहला पड़ाव है। मंदिर की बाहरी दिवारों पर हिंदू देवताओं की रेवती बलराम, ब्रह्मा, विष्णु, नटेश शिव आदि कई मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। वहीं शिवरात्रि, सावन के महाशिवरात्री, सावन के सोमवार व पंचक्रोशी यात्रा के समय यहां आस्थावानों की जुटान होती है। श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर यहां विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया श्रृंगार सहित भजन संध्या एवं भंडारे में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे वहीं के टीवी के प्रबंध निदेशक पंकज सिंह व ने भी बाबा के दरबार पहुंचकर दर्शन पूजन किया और जन कल्याण लोक कल्याण की कामना की।



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