सुप्रसिद्ध कवि श्रीप्रकाश शुक्ला के काव्य संग्रह 'रेत में आकृतियां' का पेपरबैक संस्करण का हुआ लोकार्पण

प्रसिद्ध कवि श्रीप्रकाश शुक्ल के काव्य संग्रह 'रेत में आकृतियां' के पेपरबैक संस्करण का लोकार्पण हिंदी विभाग के आचार्य रामचंद्र शुक्ल सभागार में हुआ। इस आयोजन में प्रमुख साहित्यकारों और कवियों ने शिरकत की। वाणी प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित इस काव्य संग्रह का यह दूसरा संस्करण है, जिसमें युवा आलोचक डॉ. विंध्याचल यादव की भूमिका भी सम्मिलित की गई है। भूमिका में कविताओं का गहरा विश्लेषण किया गया है, जिससे पाठकों के लिए इन कविताओं को समझना और सरल हो जाता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध ग़ज़लकार और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप ने कहा कि साहित्य में कुछ मूल्य होते हैं, जो हमेशा हमारे साथ बने रहते हैं। 

श्रीप्रकाश शुक्ल ने इन मूल्यों को आत्मसात करते हुए परंपराओं को नवीनता प्रदान की है।अपने वक्तव्य में कवि श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि इस संग्रह की कविताओं में आत्मलय से अधिक आत्मविसर्जन की कोशिश की गई है।उन्होंने बताया कि इस संग्रह पर शैवागम दर्शन का गहरा प्रभाव है, जिसे भूमिका में सही तरीके से पहचाना गया है। प्रमुख आलोचक प्रो. कृष्णमोहन सिंह ने कहा कि इस संग्रह में श्रीप्रकाश शुक्ल के अनुभव और अनुभूति का द्वंद्व साफ नजर आता है। वहीं, प्रो. कमलेश वर्मा ने इसे बनारस को समझने की एक कोशिश करार दिया, जिसमें दार्शनिकता और आध्यात्मिकता गहराई से जुड़ी हुई हैं। युवा आलोचक डॉ. विंध्याचल यादव ने 'रेत में आकृतियां' को बनारस के सांस्कृतिक और भौगोलिक बोध के साथ एक वैकल्पिक भूगोल उभारने वाला संग्रह बताया। उन्होंने कहा कि श्रीप्रकाश शुक्ल ने इस संग्रह के माध्यम से पूंजीवादी विस्मृति के खिलाफ अपनी कविताओं के जरिए आवाज उठाई है। कार्यक्रम में साहित्य जगत के कई प्रतिष्ठित नाम उपस्थित थे, जिनमें प्रो. बलराज पाण्डेय, प्रो. तरुण कुमार, और प्रो. के.एम. पाण्डेय प्रमुख थे।




Ktv News Varanasi

Greeting from KTV Channel, Varanasi Leading News and Social content Provider

Post a Comment

Previous Post Next Post