रोहनिया विद्युत कनेक्शन मामला मे अधीक्षण अभियंता ने कहा : शिकायत पत्र पर होगी कार्यवाही, अवर अभियंता होंगे निलम्बित..पर सवाल ये है कि आखिर कितनो का होगा निलंबन?

आपको बता दे कि लगभग पिछले एक महीने से विद्युत विभाग में जे.ई, एस. डी.ओ के मिलीभगत से रोहनिया क्षेत्र में पैसे लेकर कनेक्शन देने की बात सामने आ रही है। जिसमें करोड़ो रूपये के भ्रष्टाचार की आशंका है। उसमें विद्युत विभाग के कोई भी बड़े अधिकारी जांच करते नही दिख रहे, सारे मामले को दबाने में लगे है। ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि अधिकारी ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार से लिप्त हैं।

वहीं इस मामले में जब अधीक्षण अभियंता राम अवतार से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि शिकायत आई है तो पूर्व के जेई को निलंबित कर दिया जाएगा। प्रशासन अपना पल्ला झाड़ते हुए जेई को निलंबित करने की बात कह रहें है ।



पर सवाल यह है कि बीते कुछ वर्षों में न जाने कितने जे ई आए और गए होंगे..क्या यह सब को निलंबित करेंगे? क्योंकि गलतियां तो सबने की होंगी.पिछले कुछ वर्षों में जितने भी कनेक्शन दिए गए हैं 40 मीटर के ऊपर या यूं कहें कि जितने भी कनेक्शन में भ्रष्टाचार हुआ है क्या उन सभी की जांच करके सभी जे ई को निलंबित किया जाएगा. क्या ऐसा करना संभव है और क्या इन कार्यों से उन भ्रष्टाचारों को समाप्त किया जा सकेगा जो गलतियां हुई है? सवाल यहाँ कई है जैसे - क्या उसे सुधारा जाएगा? क्या गलत तरीके से दिए गए कनेक्शन को काटा जाएगा? क्या वाकई में सारे अवर अभियंताओं को निलंबित किया जाएगा? क्या इन भ्रष्टाचारों में केवल अवर अभियंताओं का ही हाथ है? एसडीओ या XEN जिनको सर्वे करना होता है जिनके सर्वे के बाद यह सारे कनेक्शन दिए जाते हैं, क्या उन पर कोई एक्शन होगा या नहीं? 

आपको बताते चले कि विद्युत वितरण खंड द्वितीय, बरईपुर के रोहनियाँ उपकेन्द्र के अंतर्गत कादीपुर नकाई गांव में विद्युत विभाग की गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आने पर आरोप लगाया गया है कि अवर अभियंता (जे.ई.) और टी0जी0-2 ने 400-700 मीटर से ऊपर की दूरी पर विद्युत कनेक्शन प्रदान किए हैं। वही जब इस संदर्भ में लिखित शिकायत की गई तो जेई रोहित ने शिकायत पत्र को फाड़ दिया और कहा कि एसडीओ के आदेश के बाद ही विद्युत आपूर्ति की जाती है। अब यह सही हो या गलत मेरा इससे कोई सरोकार नहीं है। वही इस संदर्भ में मुख्य अभियंता जोन प्रथम से शिकायत की गई जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि इस और कार्यवाही की जाएगी और उन्होंने एससी को जांच हेतु आदेशित किया। उसके बाद विभाग की ओर से जांच हेतु पत्र जारी किया है। जिसमे शिकायती पत्र में वर्णित शिकायत को संज्ञान में लेते हुए प्रकरण में विभागीय नियमानुसार जाँच एवं परीक्षण करके निस्तारण आख्या प्रेषित करने की बात लिखी गयी है। वही जब यह मामला एक्सीएन मनीष झा के पास पहुंचा तो उन्होंने अपने तक कोई भी जानकारी न होने के कारण इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। कई दिन बीत जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

40 मीटर से ऊपर की दूरी पर इस तरीके से विद्युत कनेक्शन दिया जाना विभागीय नियमानुसार गलत है और इस ओर जांच की मांग हो रही है। जिससे यह मामला उजागर हो सके कि आखिर इस तरीके से विद्युत कनेक्शन दिए जाने में कौन-कौन से अधिकारी सम्मिलित है।

क्या करोड़ो के भ्रष्टाचार की सजा सिर्फ कुछ दिन की सस्पेंशन

भ्रष्टाचार की सजा सिर्फ कुछ दिन के सस्पेंशन, उसके बाद वापस से विभाग में जॉइनिंग और फिर से भ्रष्टाचार, कुछ ऐसे ही सोच रखते हैं विभाग के उच्च अधिकारी।जहां करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप लगे हो वहां भला निलंबन से उन्हें क्या ही फर्क पड़ेगा और आगे भी फिर इसी प्रकार नए अधिकारी आएंगे और भ्रष्टाचार करेंगे। यह प्रकरण यह भी दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश के हर विभाग का कार्य करने का तरीका अलग अलग है। एक तरफ जहां एक विभाग भू अतिक्रमण रोकने पर सख्त रूख अपना रहा, वहीं बिजली विभाग इतने बड़े घोटाले के बावजूद मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा।

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