वाराणसी के IIT-BHU गैंगरेप केस में पुलिस ने पीड़िता का पहला मेडिकल करने वाले डॉक्टर हेमंत शर्मा का नाम ही चार्जशीट से गायब कर दिया।चार्जशीट में उनके बयान भी दर्ज नहीं किए गए । पुलिस ने केस में केवल 2 गवाह ही शामिल किए, जबकि तीन गवाह खुद पुलिस कर्मी हैं।
वही डॉ. हेमनत शर्मा ने कोट में यह गवाही देते हुए बताया कि छात्रा जब आई तो उसके चेहरे, हाथ_पैर व शरीर पे काफी चोट के निसान थे ।
कोर्ट में यह भी क्लियर हुआ कि पुलिस ने केस दर्ज किया। डॉ. हेमंत शर्मा ने प्राइमरी मेडिकल किया। इंटरनल मेडिकल के लिए पीड़िता को कबीरचौरा महिला अस्पताल रेफर किया। इसकी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने केस में धाराएं बढ़ाईं।
कोर्ट में डॉक्टर से अभियोजन के अलावा कुणाल पांडे समेत तीनों आरोपियों के वकीलों ने जिरह की। कोर्ट में पांच सवालों के जवाब दिए। अब अगली तारीख पर कोर्ट ने केस लिखने वाले लंका थाने के मुंशी को तलब किया है। केस में 27 जनवरी को सुनवाई होगी।
17 जनवरी को डॉक्टर अनामिका कोर्ट में पेश हुईं। उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि रेप संबंधित हिंसा से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस मामले में पीड़ित छात्रा अभी बेंगलुरु में है और 1 फरवरी के बाद कोर्ट में पेश होगी। कोर्ट ने छात्रा को वर्चुअल पेशी और जिरह के लिए अनुमति दी है, जिसके विरोध में आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की है।
22 अगस्त को छात्रा ने बयान दर्ज कराए थे वकील बिंदू सिंह ने बताया- कोर्ट ने IIT-BHU गैंगरेप की सुनवाई तेज कर दी है।
अपने साथ हुई वारदात को छात्रा ने कोर्ट के सामने रखा। बताया कि तीनों आरोपियों ने दरिंदगी की। धमकाने के बाद फरार हो गए। घटना के बाद से वह कई तरह के दबाव महसूस कर रही है। बाहर आते-जाते डर लगता है, इसलिए अधिकांश समय हॉस्टल में रहती है।