भारतीय युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष एवं फौजदारी के अधिवक्ता विकास सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के ऐसे सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद या अन्य विद्यालयों में विलय करने के निर्णय पर गहरी आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक औपचारिक पत्र भेजा है।
यह पत्र डिप्टी कलेक्टर पिनाक पाणि द्विवेदी को सौंपते हुए मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि यह नीति ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रहार करेगी।
मुख्य बिंदु:
सरकार की योजना उन प्राथमिक विद्यालयों को बंद/विलय करने की है जिनमें छात्र संख्या 20 से कम है। विकास सिंह ने इसे "प्रशासनिक सुविधा की आड़ में ग्रामीण शिक्षा की रीढ़ तोड़ने वाला कदम" बताया है।
प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से साझा की गईं प्रमुख आशंकाएं व सुझाव:
ग्रामीण बच्चों पर संकट:
दूरी बढ़ने से छोटे बच्चों विशेषकर बालिकाओं की पढ़ाई छूटने की आशंका बढ़ेगी। मौसम, सामाजिक सुरक्षा व आर्थिक समस्याएं इसमें योगदान करेंगी।
वंचित तबकों के लिए असमानता का खतरा:
दलित, आदिवासी व गरीब तबकों के बच्चों के लिए यह निर्णय शिक्षा के द्वार बंद कर देने जैसा होगा।
स्थानीय रोजगार पर असर:
शिक्षक, शिक्षामित्र, रसोइया जैसे रोजगार सीधे प्रभावित होंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
गांव के सामाजिक जीवन पर प्रभाव:
विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं होते, बल्कि ये पोषण, स्वास्थ्य और सामाजिक संवाद के भी केंद्र होते हैं।
प्रस्तावित सुझाव:
किसी भी निर्णय से पहले जनसुनवाई व सामाजिक ऑडिट अनिवार्य किया जाए।
कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को "शिक्षा केंद्र" के रूप में पुनर्गठित किया जाए।
स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, बाल वाटिका और पोषण आहार जैसी सुविधाएं सशक्त की जाएं।
नामांकन बढ़ाने के लिए कम-से-कम दो वर्षों का विशेष अभियान चलाया जाए।
संदेश:
विकास सिंह ने कहा कि "शिक्षा केवल आंकड़ों का विषय नहीं है, यह सामाजिक न्याय और समान अवसर से जुड़ा संवैधानिक अधिकार है।" उन्होंने मुख्यमंत्री से "सबका साथ, सबका विकास" की भावना से प्रेरित होकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की पुरज़ोर मांग की है।
ज्ञापन सौंपने की कार्यवाही:
इस मुद्दे पर श्री पिनाक पाणि द्विवेदी, डिप्टी कलेक्टर, वाराणसी के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें उक्त विषयक सभी बिंदुओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया है। ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से उपस्थित अधिवक्ता गण — विकास सिंह,अमनदीप सिंह,मनीष राय,सुनील मिश्रा, सैयदअसद,दीपक उपाध्याय अखिलेश सिह, शैलेन्द्र सिंह,योगेश उपाध्याय, मोहम्मद कैफ, मो.अजहर,गिरिश गिरी।