क्लाइमेट एजेंडा ने कला और संस्कृति के माध्यम से हीट वेव से बचाव के सुझाए उपाय

दुर्गाकुंड स्थित आनंद पार्क में क्लाइमेट एजेंडा संस्था के तहत संचालित बुनियाद अभियान के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन से बढ़ते तापमान और हाशिये पर रहने वाले सबसे अधिक प्रभावित समुदायों की समस्या और बचाव के उपाय को उजागर करते हुए एक रचनात्मक सांध्यकालीन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।वाराणसी शहर समेत यूपी के अधिकतर शहर दिन प्रतिदिन जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती गर्मी की मार झेल रहे हैं. ऐसे में सबसे अधिक प्रभावित समुदाय के बचाव की चर्चा और नीतिगत तौर पर एक्शन लिया जाना ज़रूरी है. इस चर्चा को रचनात्मक और प्रभावी बनाने के लिए “हीट वेव अलर्ट - सुरक्षित श्रम की संभावनाएं” विषय पर अनोखे तरीके से चार अलग अलग कॉर्नर बनाये गए, जिसमें आर्ट कॉर्नर, विशेषज्ञ परिचर्चा कॉर्नर, संभावित कुलिंग रूम की प्रदर्शनी और पॉलिसी कॉर्नर शामिल रहा. 

“इस कार्यक्रम के विषय पर विस्तार से बताते हुए क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक *एकता शेखर* बताती हैं कि आज के समय में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ता हीट वेव का संकट साल दर साल ना केवल गहराता जा रहा है, बल्कि समाज में सबसे हाशिये पर रहने वाले समुदाय जैसे ईंट भट्ठा मज़दूर, रिक्शा चालक, सफाईकर्मी, रेहड़ी पटरी, मलिन बस्ती समेत पुलिसकर्मी व अन्य बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित कर रहा है, इसका प्रभाव ना केवल व्यक्ति के स्वास्थय पर पड़ रहा है बल्कि लांसेट का अध्ययन ये भी बताते हैं कि 2023 में गर्मी के कारण भारत को 141 बिलियन डॉलर से अधिक की आय का नुकसान हुआ है. और वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक, गर्मीं से होने वाले तनाव के कारण उत्पादकता में गिरावट आएगी और अनुमानित रूप से 80 मिलियन वैश्विक नौकरियों में से 34 मिलियन नौकरियां भारत में समाप्त हो जाएंगी। ऐसी भयावह स्थिति में ज़रूरी है कि नीतिगत और व्यक्तिगत दोनों तरह से समाधान को तत्काल रूप से लागू किया जाए. उपलब्ध जानकारियों के अनुसार 2020 तक बनारस शहर में केवल 1.11 प्रतिशत क्षेत्र में ही हरियाली रही है, उसके बाद के साल में भी लगातार विकास एवं निर्माण कार्यों में हरियाली ख़त्म होती जा रही है. इसके साथ ही मानव स्वास्थय सम्बन्धी जानकारों का ये भी कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को हीट स्ट्रोक/लू लग जाती है और उसे नज़दीकी कूलिंग रूम की सुविधा मिल जाए तो तत्काल राहत से प्राणरक्षा संभव है.  इसलिए इस बढ़ती तपिश से बचने के लिए ज़रूरी है कि शहर में कम से कम 33% हरियाली, स्थायी व अस्थायी कुलिंग रूप की व्यवस्था, बदलते मौसम संदेशो का अधिक प्रसारण, ग्रीन निर्माण कार्य आदि को बढ़ावा देकर हम मज़दूरों, महिलाओं, बच्चे और बूढ़ों की जान की सुरक्षित कर सकते हैं.”“इस आयोजन में अतिथि के बतौर शामिल हुए *स्वास्थय विभाग से डॉक्टर शिशिर* जी ने संबोधित करते हुए कहा कि हाल ही में वाराणसी शहर का हीट वेव एक्शन प्लान तैयार किया गया है, जिसमे बचाओ के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं. स्वास्थय विभाग भी हीट वेव पर त्वरित बचाव के लिए काम कर रहा है, लेकिन शहर में लोगों के बीच जागरूकता की कमी है इसमें विभाग के साथ साथ सामाजिक और पर्यावरणीय संस्थाओं के गठजोड़ से पर्यावरण अनुकूल व्यवहार परिवर्तन से हीट वेव के ख़तरे को रोका जा सकता है.”

फाइन आर्ट्स के युवाओं के उत्साहवर्धन के लिए अतिथि के बतौर प्रोफ़ेसर सुरेश नायर, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने जलवायु परिवर्तन से उपज हीट वेव की समस्या में कला और संस्कृति के माध्यम से उजागर करने के लिए युवाओं को सराहा. इसके साथ अतिथि के बतौर जागृति राही, समाजिक कार्यकर्ता, घरेलु कामगार पर काम करने वाले श्री मुकेश श्रीवास्तव, मजदूरों के अधिकार पर काम करने वाले श्री महाजन अली समेत 300 से अधिक काशीवासियों ने भाग लिया जिसमे, घरेलु कामगार महिलाएं, ईंट भट्ठा मज़दूर, ई रिक्शा चालक, मलिन बस्ती से महिलाएं, रेहड़ी पटरी दुकानदार, काशी विद्यापीठ, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महादेव पीजी कॉलेज और वसंत कन्या महाविद्यालय से फाइन आर्ट्स आर्टिस्ट, और नुक्कड़ नाटक का प्रस्तुतीकरण में टीम शामिल हुई.

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