काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव मंदिर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया दर्शन के बाद एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद तब गहराया जब उत्तर प्रदेश यूथ कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव अनुपम राय ने बाबा काल भैरव को एक तहरीर समर्पित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की।अनुपम राय ने सोमवार को बाबा काल भैरव मंदिर पहुंचकर उन्हें लिखित रूप में तहरीर दी और निवेदन किया कि 23 जून को गृहमंत्री अमित शाह जब मंदिर पहुंचे थे, तब पुजारी उन्हें अभिमंत्रित कर रहे थे। उसी समय गृहमंत्री ने कथित तौर पर पुजारी को बीच में रोकते हुए कहा, “अब बस करो।” तहरीर में इस घटनाक्रम को सनातन धर्म और बाबा काल भैरव का अपमान बताया गया है। कांग्रेस नेता ने इसे एक गंभीर धार्मिक अवमानना का मामला बताया और बाबा से प्राथमिकी दर्ज कराने का आग्रह किया।इस तहरीर के सामने आने के बाद मंदिर के व्यवस्थापक नवीन गिरी से बात की गई, जिन्होंने इस पूरे आरोप को नकारते हुए कहा कि गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा की थी।
नवीन गिरी ने स्पष्ट कहा कि गर्भगृह में जो पूजा हुई वह मंदिर की पारंपरिक रीति के अनुसार हुई और किसी भी प्रकार का अनादर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री ने मंत्रोच्चार के बीच कोई व्यवधान नहीं डाला, और यह आरोप निराधार तथा राजनीति से प्रेरित है।नवीन गिरी ने बताया कि गर्भगृह से निकलते समय उन्होंने स्वयं गृहमंत्री से कहा कि “अब चलिए”, जिसके बाद मंदिर की परिक्रमा की गई और फिर बाहर आकर बाबा का दंड लिया गया। उन्होंने कहा, “जो लोग इस प्रकार के आरोप लगा रहे हैं, वे केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए बाबा का नाम ले रहे हैं। यह सरासर गलत है।”इस विवाद में मंदिर के पुजारी पंडित पप्पू दुबे का भी बयान सामने आया है, जिन्होंने बताया कि वे 17 वर्षों से बाबा काल भैरव मंदिर में दंड देने की परंपरा का पालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह इससे पहले भी चार बार मंदिर आ चुके हैं और हर बार उसी परंपरा का पालन करते हैं। पंडित पप्पू दुबे ने कहा, “जब मैं नजर झाड़ रहा था, तब गृहमंत्री मुस्कुराए और बोले ‘हो गया महाराज’, और फिर आगे बढ़ गए। इसे किसी भी तरह से अपमान नहीं कहा जा सकता।”पंडित ने बताया कि यह परंपरा शिवपुराण में वर्णित है और काशी ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां मृत्यु के बाद यम का राज नहीं चलता, बल्कि न्याय स्वयं बाबा काल भैरव करते हैं। इसी कारण यहां जो भी दर्शनार्थी आता है, वह बाबा का दंड लेकर जाता है।इस पूरे घटनाक्रम को लेकर शहर में चर्चा गरम है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मुद्दा बता रही है, वहीं मंदिर प्रशासन और पुजारी इसे एक सामान्य, पारंपरिक प्रक्रिया बताते हुए किसी भी तरह के अपमान के आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं।