डबल इंजन की सरकार जल संरक्षण को लेकर लगातार सक्रिय है, लेकिन समाज की सीमित भागीदारी के कारण यह पहल अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रही है। वाराणसी में कई जलस्रोतों की स्थिति इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। जहां एक ओर सोना तालाब जैसे स्थानों पर स्थानीय लोगों की जागरूकता और भागीदारी के चलते तालाब आज भी स्वच्छ और आकर्षक बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर शहर के कई पुराने जल स्रोत उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। भेलूपुर थाना क्षेत्र के संकुलधारा तालाब की हालत काफी दयनीय है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, जब कोई मंत्री या जनप्रतिनिधि तालाब का दौरा करते हैं तभी उसकी सफाई होती है, अन्यथा उसे यूं ही गंदगी और दुर्दशा में छोड़ दिया जाता है।इसी प्रकार, चितईपुर थाना क्षेत्र के आदित्य नगर पोखरे की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। पोखरे का पानी प्रदूषित हो चुका है और उसके आसपास गंदगी का अंबार है। स्थानीय नागरिकों को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा।काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अशोक सोनकर का कहना है कि,उन्होंने यह भी जोड़ा कि जल एक सीमित संसाधन है और इसकी बर्बादी भावी पीढ़ियों के लिए संकट खड़ा कर सकती है। ऐसे में आवश्यक है कि आम नागरिक भी सरकारी प्रयासों में भागीदार बनें और अपने आसपास के तालाब, पोखरे और कुओं की स्वच्छता एवं संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाएं।