कच्ची सराय स्थित इमामबाड़ा से 404 साल पुराना ऐतिहासिक दुलदुल और आलम का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस सय्यद इकबाल हुसैन की देखरेख में आरंभ हुआ और अंजुमन जाव दिया के नेतृत्व में आगे बढ़ा।मातम करती अंजुमन की टोलियां, अफाक हैदर, साजिद हुसैन जैसे प्रमुख नव्हाख्वानों द्वारा किए गए नोहे– "हुसैन हुसैन", "ग़ंजी है कर्बला में सदा मैं हुसैन हूं"– ने श्रद्धालुओं की आंखें नम कर दीं।
जुलूस में ऊंट, बैंड-बाजा, ढोल-ताशे और शहनाई की मातमी धुनें भी शामिल थीं।यह जुलूस वाराणसी के 8 थानों – चौक, दशाश्वमेध, लक्सा, चेतगंज, सिगरा, कोतवाली, जैतपुरा और आदमपुर – से होकर गुजरते हुए 4 जुलाई को अपने समापन स्थल इमामबाड़ा पर पहुंचेगा। लगभग 200 मोहल्लों से गुजरने वाले इस जुलूस में दुलदुल को श्रद्धालु दूध पिलाकर मन्नतें मांगते हैं।प्रमुख सहभागी ,जफर हुसैन एडवोकेट, सागर हसन, इमरान हुसैन, हैदर अब्बास, शकील हुसैन, रेहान हुसैन, सकलैन हैदर, मुस्कान हुसैन, शाहीन हुसैन, जरगम हैदर और फैजी हसन। जुलूस का संचालन शकील अहमद 'जादूगर' ने किया