गोरखपुर के बिछिया स्थित पीएसी ट्रेनिंग सेंटर में बुधवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया, जब करीब 600 ट्रेनी महिला सिपाही रोती-चिल्लाती कैंपस से बाहर निकल आईं और प्रशासनिक अव्यवस्थाओं और अपमानजनक व्यवहार को लेकर विरोध जताया।कुछ महिला सिपाहियों ने आरोप लगाया कि ट्रेनिंग सेंटर के बाथरूम में कैमरे लगे हुए हैं, जिससे उनकी निजता का उल्लंघन हुआ है। हालांकि जांच के बाद आईजी पीएसी मध्य जोन प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि कैमरे की शिकायत गलत पाई गई।ट्रेनी सिपाहियों ने बताया कि पूरी रात बिजली नहीं रहती, जनरेटर की कोई व्यवस्था नहीं है, और पानी के लिए केवल एक RO से 600 महिलाएं पानी पीती हैं। वॉशरूम में पानी नहीं आता, खाने की गुणवत्ता भी बेहद खराब है। कुछ ने यह भी कहा कि पंखा लाने पर बिजली का बिल भरने की धमकी दी जाती है।ट्रेनिंग से पहले स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान डीआईजी रोहन पी ने महिला सिपाहियों की प्रेग्नेंसी जांच कराने का आदेश दिया, जिससे कई महिलाएं नाराज हो गईं।
आईजी ट्रेनिंग चंद्र प्रकाश ने आदेश निरस्त करते हुए स्पष्ट किया कि अविवाहित महिला सिपाहियों से केवल शपथ पत्र लिया जाएगा, और जो गर्भवती होंगी, उन्हें अगले बैच में शामिल किया जाएगा। एक पीटीआई (फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर) पर महिला सिपाहियों के साथ अभद्रता और गाली-गलौज का आरोप लगा, जिसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों की पहचान कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। घटना की गंभीरता को देखते हुए एडीजी और एसएसपी मौके पर पहुंचे और महिला सिपाहियों से बातचीत की। सीएम योगी आदित्यनाथ भी उसी दिन गोरखपुर में मौजूद थे, जिस कारण लखनऊ से सीनियर अधिकारी भी गोरखपुर रवाना किए गए। महिला सिपाहियों की मांग महिलाओं ने साफ कहा है कि जब तक बिजली, पानी, भोजन और सुरक्षा की समस्या का समाधान नहीं होता, वे ट्रेनिंग नहीं करेंगी।यह घटना न सिर्फ पुलिस व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है, बल्कि महिला सशक्तिकरण के दावों की भी पोल खोलती है। अब देखना है कि सरकार इस पर कितना गंभीर कदम उठाती है।