अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ऐपवा की महिला कार्यकर्ताओं और छात्राओं ने सोमवार को वाराणसी के लंका मालवीय चौराहे पर एकत्र होकर केजी से पीजी तक की मुफ्त और समान शिक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।इस अवसर पर आयोजित जनसभा में प्रो. मुखर्जी ने कहा कि सरकारी शिक्षा गरीबों की रीढ़ है और यह संविधान में दर्ज हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। उन्होंने चिंता जताई कि सरकार उत्तर प्रदेश में 5000 स्कूलों के मर्जर की योजना बना रही है, जिससे सबसे अधिक असर लड़कियों की शिक्षा पर पड़ेगा।प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" नारे को ज़मीन पर लागू करना चाहती है तो उसे सरकारी स्कूलों को बंद नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा से लड़कियों को वंचित रखना सामाजिक सुधारकों जैसे सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख और डॉ. आंबेडकर का अपमान है।वहीं, एक छात्रा सुनैना ने भावुक होकर कहा कि अगर सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे तो उसका गरीब परिवार निजी स्कूल की फीस नहीं भर सकेगा और डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाएगा।कार्यक्रम में वक्ताओं ने शिक्षा के निजीकरण पर रोक लगाने और देश में सस्ती, समान और सर्वसुलभ शिक्षा व्यवस्था लागू करने की मांग की।कार्यक्रम की शुरुआत में राजस्थान के झालावाड़ में हाल ही में एक सरकारी स्कूल की इमारत गिरने से बच्चों की मौत पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
इस मौके पर विभा वाही, शीला, मुन्नी, सोनी, खुशबू, छाया, नैना, रानी, पायल, लक्ष्मी और निशा सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहीं।कार्यक्रम का संचालन भी ऐपवा कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया।