काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. रामानंद राय (74 वर्ष) के साथ करीब ₹16.42 लाख की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। भेलूपुर थाने में दर्ज शिकायत में डॉ. राय ने वाराणसी निवासी आशुतोष श्रीवास्तव और उनके सहयोगी अभिषेक गुप्ता पर ठगी का आरोप लगाया है।डॉ. राय के अनुसार, उन्होंने अपने मकान के पहले तल पर रिनोवेशन का कार्य 3 दिसंबर 2024 से शुरू कराया था। मॉड्यूलर किचन बनवाने से पहले केमिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ी, जिसके लिए उन्होंने विज्ञापन के जरिए ‘गौरी वाटर प्रूफिंग’ के आशुतोष श्रीवास्तव से संपर्क किया। आशुतोष ने उन्हें सीलन से 20 साल और दीमक से 3 साल तक सुरक्षा का भरोसा दिया, और ₹100 के स्टाम्प पेपर पर गारंटी भी दिखाई।आशुतोष ने सीलन रोधी केमिकल का रेट ₹560 प्रति लीटर और दीमक रोधी केमिकल का रेट ₹950 प्रति लीटर बताया। लेकिन बाद में यह दरें बाजार मूल्य से 17 गुना अधिक निकलीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि केमिकल बिना किसी ब्रांडिंग वाले डिब्बों में लाए गए। पूछताछ पर उन्हें गुमराह कर कहा गया कि यह "डॉ. फिक्सिट" केमिकल है जिसमें अमोनिया मिलाया गया है।डॉ. राय का कहना है कि आशुतोष और उसके साथी ने केवल किचन ही नहीं, बल्कि जबरन डाइनिंग हॉल और बेडरूम में भी ट्रीटमेंट करवा दिया। इस दौरान कुल ₹17,39,205 की राशि उनसे अलग-अलग चेकों के माध्यम से वसूली गई।बाद में जब डॉ. राय को संदेह हुआ, तो उन्होंने एक जीएसटी रजिस्टर्ड एजेंसी से ट्रीटमेंट कराया, जिसकी कुल लागत केवल ₹18,480 आई। इस तुलना के आधार पर उन्होंने पाया कि उनसे ₹16,42,540 की अतिरिक्त वसूली की गई।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ट्रीटमेंट के बावजूद उनके नए बनाए गए किचन में फिर से दीमक लग गई।डॉ. राय ने आरोप लगाया कि वृद्धावस्था का फायदा उठाकर योजनाबद्ध तरीके से उन्हें ठगा गया। उन्होंने पुलिस से दोनों आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। भेलूपुर थाना प्रभारी सुधीर कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 316(2) और 318(4) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल आरोपियों की तलाश की जा रही है।