शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन काशी माँ चंद्रघंटा की भक्ति में सराबोर दिखी। सुबह से ही मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। भक्त नारियल, चुनरी और फूल-मालाओं के साथ घंटों लाइन में खड़े होकर माँ के दर्शन का इंतजार करते रहे। जैसे ही माँ के दर्शन हुए, पूरा मंदिर परिसर “जय माता दी” के जयकारों से गूंज उठा।
शास्त्रों के अनुसार माँ चंद्रघंटा को दुर्गा का तीसरा स्वरूप माना जाता है। उनके गले में अर्धचंद्र के आकार का घंटा सुशोभित है, जिसकी ध्वनि से दानव और असुर भयभीत हो जाते थे। स्वर्णिम आभा से युक्त यह स्वरूप शक्ति, पराक्रम और साहस का प्रतीक है। मान्यता है कि माँ चंद्रघंटा की उपासना से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और पापों का नाश होता है। मंदिर पहुंचे भक्तों ने बताया कि माँ के दर्शन से उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का अनुभव हुआ है। मंदिर परिसर में भक्तों की आस्था और माँ के जयकारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।