वाराणसी में नवरात्रि की भव्य शुरुआत, गंगा की मिट्टी से बनीं दुर्गा प्रतिमाएं पंडालों में विराजेंगी

शारदीय नवरात्र की शुरुआत के साथ ही काशी में उत्सव का रंग बिखर गया है। शिव की नगरी को मिनी कोलकाता कहा जाता है और यहां लगभग 300 से अधिक दुर्गा प्रतिमाएं भव्य पंडालों में स्थापित की जाती हैं। खास बात यह है कि मां दुर्गा की ये प्रतिमाएं गंगा की पवित्र मिट्टी से तैयार की गई हैं, जिन्हें बंगाल और काशी के कारीगर कई महीनों से बना रहे थे।पितृ विसर्जन के साथ ही नवरात्रि का आरंभ हो गया है। अब पूरे दस दिनों तक काशी के पंडालों और मंदिरों में देवी के जयकारों की गूंज रहेगी। हर वर्ष की तरह इस बार भी बनारस में दुर्गा पूजा का अलग ही उल्लास देखने को मिल रहा है।खोजवा के रहने वाले कारीगर शीतल ने बताया कि इस बार मौसम की नमी के कारण मूर्तियों को देर से बनाया गया। 

वे इस साल लगभग 18 प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं, जिनमें दुर्गाकुंड की 12 फीट ऊँची प्रतिमा खास आकर्षण का केंद्र होगी। इसके अलावा गोदौलिया और सोनपुरा के लिए भी भव्य प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। शीतल पिछले 12 वर्षों से मूर्ति निर्माण का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछली बार दाल से बनी प्रतिमाएं बेहद लोकप्रिय रही थीं, लेकिन इस बार विशेष ऑर्डर न मिलने की वजह से सामान्य मूर्तियां ही बनाई गई हैं।शीतल का कहना है कि वे केवल बनारस के लिए ही प्रतिमाएं बनाते हैं और साथ ही काली पूजा, सरस्वती पूजा और विश्वकर्मा पूजा के लिए भी प्रतिमाएं तैयार करते रहते हैं।नवरात्र में काशी की भव्यता पूरे पूर्वांचल ही नहीं बल्कि दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां के रंग-बिरंगे पंडाल और गंगा की मिट्टी से बनीं प्रतिमाएं इस बार भी भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम लेकर आई हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post