शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां भगवती के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचकर उनके चरणों में शीश नवाएंगे।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी का वाहन कमल है और उनके दर्शन-पूजन से साधना, तपस्या और संयम की शक्ति प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को जीवन में धैर्य, तप एवं विजय की प्राप्ति होती है।
काशी में माँ ब्रह्मचारिणी का प्रसिद्ध मंदिर गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित है। यह मंदिर वाराणसी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में पड़ता है। नवरात्र के दौरान यहां भक्तों की बहुत भीड़ होती है ।मान्यता के अनुसार नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।