बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बीएचयू के भूगोल विभाग में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। सम्मेलन का विषय है — “शहरी, ग्रामीण और जनजातीय विकास के एकीकरण द्वारा सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति: विकसित भारत @ 2047 की दृष्टि।” यह आयोजन 9 से 11 अक्तूबर तक चलेगा।सम्मेलन का उद्देश्य सतत एवं समावेशी विकास के लिए अंतरविषयक संवाद और सहयोगी शोध को प्रोत्साहित करना है।मुख्य अतिथि डॉ. बिनोद कुमार सिंह, निदेशक, राष्ट्रीय एटलस एवं थीमैटिक मैपिंग संगठन (NATMO), कोलकाता, ने अपने संबोधन में भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) और थीमैटिक मैपिंग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “सतत विकास तभी संभव है जब शहरी, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों का संतुलित विकास हो।”मुख्य वक्ताओं के रूप में प्रो. कोइची किमोटो क्यान्सेई गाकुइन विश्वविद्यालय, जापान और प्रो. रणबीर एस. कांग केनेसॉ स्टेट विश्वविद्यालय, अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों और स्थानीय नवाचारों के समन्वय पर जोर दिया। दोनों ने कहा कि स्थानीय स्तर पर नीति निर्माण और जनसहभागिता से ही सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति संभव है।
उद्घाटन सत्र में प्रो. अरुण देव सिंह विज्ञान संकाय, बीएचयू, प्रो. वी. के. त्रिपाठी प्रमुख, भूगोल विभाग, बीएचयू तथा प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता प्रो. राणा पी. बी. सिंह भी उपस्थित रहे। प्रो. सिंह ने अपने वक्तव्य में समय-स्थानिक योजना एवं सांस्कृतिक स्थिरता के महत्व पर बल दिया।सम्मेलन के संयोजक प्रो. रिपुदमन सिंह और डॉ. हरप्रीत सिंह हैं। इस तीन दिवसीय आयोजन में देश-विदेश से कई विद्वान, शोधकर्ता और नीति-निर्माता भाग ले रहे हैं, जो स्थानीय एकीकरण, समावेशी शासन, पर्यावरणीय स्थिरता और तकनीकी नवाचार जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।यह सम्मेलन भारत सरकार की “विकसित भारत @ 2047” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में शहरी प्रगति, ग्रामीण सशक्तिकरण और जनजातीय ज्ञान के समन्वित दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का प्रयास है।