वाराणसी के नए जिला जज संजीव शुक्ला ज्ञानवापी मामले की दूसरी सुनवाई करेंगे। हिंदू पक्ष ने अदालत में मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन, बंद तहखानों की मरम्मत, और मुस्लिम पक्ष को तहखाने की छत पर नमाज से रोकने जैसी प्रमुख मांगें रखी हैं। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सील वजूखाने के ताले और फटे हुए कपड़े बदलने का अनुरोध भी याचिकाकर्ताओं ने किया है।पिछली सुनवाई में जिला जज ने श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी से जुड़े मामलों की फाइलों का अध्ययन किया और दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। वकीलों की ओर से कपड़ा और ताला बदलने को लेकर बहस केंद्रित रही, और इसके बाद जिला जज ने फाइलों के गहन अध्ययन के लिए समय मांगा था।ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सात मामलों की संयुक्त सुनवाई होगी। इनमें पांच महिलाओं — लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और राखी सिंह — ने परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति की मांग की है। उनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने अदालत से इन मामलों की सुनवाई तेजी से करने की अपील की है।सुनवाई में सबसे पहले वजूखाने पर हुई पिछली कार्रवाई और 16 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) द्वारा दिए गए आदेश पर चर्चा होगी, जिसमें कथित वजूखाने को सील करने का निर्देश दिया गया था। वादी पक्ष ने कहा कि दक्षिण दिशा का एस-1 और उत्तर दिशा का एन-1 तहखाना अभी तक एएसआई सर्वे में शामिल नहीं हो सके हैं क्योंकि वे पत्थरों से बंद हैं।
अदालत से मांग की गई है कि इन बाधाओं को हटाकर एएसआई को सर्वे करने की अनुमति दी जाए।इसके अलावा, भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से दाखिल याचिका में मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा की अनुमति और पूजा में बाधा डालने वालों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग भी शामिल है। पिछली सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने कहा था कि सभी मामलों को एक साथ क्लब करने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए कोई भी निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही लिया जाएगा।जिला जज ने 1991 में दाखिल लॉर्ड विश्वेश्वर के मुकदमे को सिविल कोर्ट से जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग को भी खारिज कर दिया था।

