2025 के सुधारों से बदली देश की दिशा, विकसित भारत की ओर तेज़ कदम

वर्ष 2025 भारत के आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक इतिहास में एक निर्णायक अध्याय के रूप में उभरा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह साल व्यापक और साहसिक सुधारों का गवाह बना, जिनके जरिए देश ने पुराने और जटिल ढांचों को पीछे छोड़ते हुए आधुनिक, सरल और विकासोन्मुख व्यवस्था की ओर मजबूत कदम बढ़ाए। शासन, कर प्रणाली, श्रम कानून, व्यापार, शिक्षा, ऊर्जा और ग्रामीण विकास जैसे लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों में किए गए सुधारों ने “विकसित भारत” के लक्ष्य को ठोस आधार दिया।इन सुधारों का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर देखने को मिला। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत ने 2025 में 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज की, जिससे वह दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया। कर सुधारों, श्रम संहिताओं के प्रभावी क्रियान्वयन, जीएसटी के सरलीकरण, एफडीआई में उदारीकरण और नए व्यापार समझौतों ने निवेश, उत्पादन और उपभोग को नई गति दी।

श्रम सुधारों के तहत 29 पुराने कानूनों को चार आधुनिक श्रम संहिताओं में समाहित किया गया। इससे एक ओर श्रमिकों को अधिक सुरक्षा मिली, तो दूसरी ओर उद्योगों के लिए नियमों की स्पष्टता बढ़ी। गिग वर्कर्स और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों तक सामाजिक सुरक्षा का विस्तार, राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने जैसे कदमों से श्रम बाजार को अधिक समावेशी बनाया गया। इससे रोजगार के अवसर बढ़े और उद्योगों पर अनुपालन का बोझ भी कम हुआ।कर सुधारों ने मध्यम वर्ग और व्यापार जगत को बड़ी राहत दी। जीएसटी को सरल और पारदर्शी बनाते हुए दो स्पष्ट स्लैब में लाया गया, जिससे उपभोक्ताओं की बचत बढ़ी और खपत को प्रोत्साहन मिला। आयकर अधिनियम, 2025 के लागू होने और 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त किए जाने से मध्यम वर्ग को ऐतिहासिक राहत मिली, जिससे घरेलू बजट में आत्मविश्वास और निवेश क्षमता मजबूत हुई।

इज ऑफ डूइंग बिजनेस से जुड़े सुधारों, क्यूसीओ के युक्तिकरण, एमएसएमई की नई परिभाषा और भवन व पर्यावरणीय स्वीकृतियों के सरलीकरण ने उद्यमियों के लिए राह आसान की। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों को विस्तार का अवसर मिला, जबकि बीमा, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश को नया प्रोत्साहन मिला। रणनीतिक मुक्त व्यापार समझौतों ने भारतीय उत्पादों के लिए वैश्विक बाजारों के द्वार खोले।शिक्षा, समुद्री अर्थव्यवस्था, प्रतिभूति बाजार और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में किए गए सुधारों ने भारत को भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार किया। वहीं ग्रामीण रोजगार से जुड़े सुधारों ने गांवों में आय, परिसंपत्तियों और आजीविका को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई।कुल मिलाकर, वर्ष 2025 सुधारों का ऐसा वर्ष साबित हुआ, जिसने सरल कानूनों, मजबूत प्रणालियों और बढ़ती वैश्विक विश्वसनीयता के साथ 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की नींव को और अधिक मजबूत किया।



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