मनरेगा खत्म करना करोड़ों ग्रामीणों पर हमला, संविधान की भावना के खिलाफ फैसला: सोनिया गांधी

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को खत्म किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि मनरेगा को समाप्त करना सामूहिक नाकामी है और इससे गांवों में रहने वाले करोड़ों लोगों के जीवन और आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा। सोनिया गांधी ने इसके खिलाफ सभी को एकजुट होने की अपील की है।सोनिया गांधी का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत ग्रामीण रोजगार आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल को मंजूरी दे दी है, जो मनरेगा की जगह लागू होगा। नए कानून में ग्रामीण मजदूरों को 125 दिन रोजगार देने की गारंटी का प्रावधान किया गया है। सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे अपने कॉलम ‘द बुलडोजर डिमॉलिश ऑफ मनरेगा’ में सरकार के इस फैसले की आलोचना की है।

उन्होंने लिखा कि मनरेगा महात्मा गांधी के सर्वोदय यानी ‘सबका कल्याण’ के विचार पर आधारित था और इसने काम के अधिकार को मजबूत किया। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि संकट के समय ग्रामीण गरीबों के लिए बने इस रोजगार गारंटी कानून को “बुलडोजर चलाकर” खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा संविधान के अनुच्छेद 41 से प्रेरित था, जिसमें नागरिकों को काम का अधिकार देने की बात कही गई है।सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर बिना चर्चा, बिना सलाह और संसद की प्रक्रिया का सम्मान किए बिना मनरेगा को समाप्त करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना तो केवल शुरुआत थी, असल में पूरी योजना को ही खत्म कर दिया गया है।उन्होंने नए कानून को अफसरशाही नियमों का ढांचा करार देते हुए कहा कि अब इस योजना का दायरा केंद्र सरकार की मर्जी पर निर्भर होगा। 

पहले जहां बजट की कोई सीमा नहीं थी, अब तय बजट होगा, जिससे राज्यों में काम के दिनों की संख्या सीमित हो जाएगी और सालभर रोजगार की गारंटी खत्म हो जाएगी।सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि इससे ग्रामीण गरीबों, खासकर भूमिहीन मजदूरों की सौदेबाजी की ताकत बढ़ी और मजदूरी में सुधार हुआ। नया कानून इस ताकत को कमजोर कर देगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मजदूरों की आय बढ़ने से रोकना चाहती है, जबकि आजादी के बाद पहली बार कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है।उन्होंने सरकार के उस दावे को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया है कि रोजगार के दिन 100 से बढ़ाकर 125 कर दिए गए हैं। सोनिया गांधी ने कहा कि खर्च का बड़ा बोझ राज्यों पर डालकर सरकार खुद ही इस योजना के रास्ते में रुकावट पैदा कर रही है। राज्यों की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है



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