काशी तमिल संगमम्-4.0 के तहत दक्षिण भारत से आने वाले आगंतुकों का सिलसिला लगातार जारी है।तमिल मेहमानों का तीसरा दल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा। इस दल में बड़ी संख्या में लेखक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि शामिल थे। स्टेशन पर उतरते ही मेहमानों का पारंपरिक डमरू वादन, पुष्पवर्षा, ‘हर-हर महादेव’ और ‘वणक्कम काशी’ के उद्घोष के साथ अभूतपूर्व स्वागत किया गया।पारंपरिक अंदाज में हुए स्वागत से तमिल अतिथियों में खासा उत्साह देखने को मिला। कई सदस्यों ने कहा कि काशी की गर्मजोशी, आध्यात्मिक माहौल और सांस्कृतिक समृद्धि उनके लिए अविस्मरणीय अनुभव है।
डमरू की गूंज से स्टेशन परिसर शिवमय हो उठा और उत्तर व दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता का सुंदर दृश्य सामने आया।चेन्नई के शिक्षक के.एल. विकास, जो काशी तमिल संगमम् में भाग लेने आए हैं, ने यहां एक अनूठा संकल्प लिया है। वे काशी के गंगाजल से उत्तर और दक्षिण भारत के प्रख्यात शिव मंदिरों की चित्र श्रृंखला तैयार करेंगे। इसकी शुरुआत वे दक्षिण भारत स्थित तेनकाशी के विश्वनाथ मंदिर के चित्र से करेंगे।विकास ने बताया कि काशी आना उनका बचपन का सपना रहा है। फरवरी महीने में संगमम् के तीसरे संस्करण में भी वे आने वाले थे, लेकिन अस्वस्थता के कारण यात्रा संभव नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि विश्वास था कि काशी बुलाएगी—और आखिरकार इस वर्ष वह अवसर मिल ही गया।कार्यक्रम के साथ काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत के सेतु और भी मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं।

