वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर अतिक्रमण का मामला गर्मा गया है। देश के सबसे प्राचीन और प्रमुख शवदाह स्थल पर इन दिनों हालात ऐसे हैं कि शवों को रखने तक की जगह नहीं बची है। घाट पर आने वाले परिजन परेशान हैं, क्योंकि अंतिम संस्कार के लिए निर्धारित हिस्सों तक पहुँचने में भी बाधाएँ खड़ी हो गई हैं।स्थानीय लोगों और घाट व्यवस्था से जुड़े लोगों का आरोप है कि लकड़ी कारोबारियों और दबंगों ने घाट के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है। सरकारी जमीन, घाट की सीढ़ियाँ और खुले स्थानों तक पर लकड़ियों का विशाल टाल (ढेर) जमा कर दिया गया है।
लकड़ी माफियाओं पर यह भी आरोप है कि वे मनमाने दाम पर लकड़ी बेचने का दबाव बनाते हैं, जिससे अंतिम संस्कार के लिए आए परिवारों को आर्थिक शोषण का सामना करना पड़ता है।मामला तब और गंभीर हो गया जब घाट की परंपरागत व्यवस्था संभालने वाले डोम राजा परिवार का धैर्य जवाब दे गया। परिवार ने सीधे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर घाट पर हो रहे अतिक्रमण और अव्यवस्था की विस्तृत जानकारी दी है तथा तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।डोम राजा परिवार का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो महाश्मशान की गरिमा और परंपरा दोनों खतरे में पड़ जाएँगे। स्थानीय श्रद्धालु और अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोग भी लंबे समय से घाट पर व्याप्त अनियंत्रित अतिक्रमण, भीड़ और महँगी लकड़ी की मजबूरी का सामना कर रहे हैं।

