भारतीय सेना ने स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम आकाश नेक्स्ट जेनरेशन (आकाश-NG) का ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में सफल ट्रायल किया। इस परीक्षण को देश की स्वदेशी एयर डिफेंस क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक अहम उपलब्धि माना जा रहा है।रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अनुसार, ट्रायल के दौरान आकाश-NG ने अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर मौजूद हवाई लक्ष्यों को सटीकता के साथ नष्ट किया। इसमें सीमा के पास कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्य और लंबी दूरी पर अधिक ऊंचाई पर मौजूद टारगेट शामिल थे।
आकाश-NG एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल, ड्रोन और UAV जैसे खतरों को 80 किलोमीटर की दूरी तक और 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक मार गिराने में सक्षम है। खास बात यह है कि यह सिस्टम एक साथ 10 हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर उन्हें नष्ट कर सकता है।अधिकारियों के मुताबिक, इस मिसाइल सिस्टम को DRDO ने विकसित किया है, जबकि इसका निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा किया जा रहा है। आकाश-NG को भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना में शामिल करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इसके शामिल होने से देश की हवाई सुरक्षा को बड़ी मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत की रक्षा नीति को बल मिलेगा।
इससे पहले भारतीय सेना ने 17 जुलाई को लद्दाख में स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ‘आकाश प्राइम’ का भी सफल परीक्षण किया था। इस परीक्षण के दौरान पूर्वी लद्दाख में 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर उड़ रहे दो ड्रोन को मार गिराया गया था। आकाश प्राइम, आकाश वेपन सिस्टम का एडवांस वर्जन है, जिसे ऊंचाई वाले और कम ऑक्सीजन वाले इलाकों के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है।इसी कड़ी में भारत अब राजधानी दिल्ली-NCR को मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट हमलों जैसे खतरों से बचाने के लिए अपना खुद का मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है। रक्षा मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के अनुसार प्रस्तावित इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) पूरी तरह स्वदेशी हथियारों और तकनीक पर आधारित होगा।आकाश-NG और अन्य स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम के सफल परीक्षण भारत की बढ़ती सैन्य आत्मनिर्भरता और मजबूत होती राष्ट्रीय सुरक्षा का स्पष्ट संकेत हैं।

.jpeg)
