ज्वार रोगियों की बढ़ती संख्या को लेकर राज्य स्तरीय दल ने किया अस्पतालों का आंकलन

वाराणसी जनपद पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख जनपदों में सम्मिलित है तथा आसपास के अनेक जनपदों से विभिन्न रोगों के रोगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता के कारण वाराणसी नगर के विभिन्न चिकित्सालयों में उपचार हेतु नियमित रूप से आते हैं। वाराणसी जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता एवं गुणवत्ता, औषधियों एवं सेवाओ की उपलब्धता इत्यादि की स्थिति की निरंतर उच्च स्तरीय निगरानी की जाती है।

राज्य स्तर पर प्राप्त विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स तथा उच्च स्तर से प्राप्त निर्देशों के क्रम में एक तीन सदस्य दल को सोमवार और मंगलवार जनपद वाराणसी के विभिन्न चिकित्सालयों में बुखार के रोगियों की स्थिति का आकलन करने हेतु भेजा गया। दल में डॉ के एन तिवारी, निदेशक (संचारी रोग), डॉ विकासेंदु अग्रवाल, राज्य सर्विलांस अधिकारी तथा डॉ पंकज गुप्ता, फिजीशियन, लोक बंधु राजबंधु चिकित्सालय, लखनऊ सम्मिलित हैं।दल के सदस्यों के द्वारा 2 अक्टूबर को देर रात तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय तथा 3 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री संयुक्त चिकित्सालय, रामनगर एवं श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय, कबीर चौरा का भ्रमण कर वार्ड में भर्ती मरीजों की स्थिति की जानकारी प्राप्त की गई, साथ ही उपलब्ध जांच एवं उपचार सुविधाओं की गहनतापूर्वक समीक्षा की गई। इस संदर्भ में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय मे टीम ने समीक्षा के संदर्भ मे विस्तार पूर्वक जानकारी दी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय, पांडेपुर अस्पताल में 250 बेडस उपलब्ध हैं तथा 50 अतिरिक्त बेडस की व्यवस्था की जा सकती है। लाल बहादुर शास्त्री संयुक्त चिकित्सालय, रामनगर में 153 बेडस उपलब्ध हैं तथा 20 अतिरिक्त बेडस की व्यवस्था की जा सकती है। श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय, कबीर चौरा अस्पताल में 316 बेडस उपलब्ध हैं तथा 40 अतिरिक्त बेडस की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने बताया कि सभी चिकित्सालयों मे रोगियों के उपचार हेतु अनेक प्रकार के नवाचार भी किए जा रहे हैं । भ्रमण किए गए तीनों चिकित्सालयों में इमरजेन्सी की व्यवस्था भी की गई है। विभिन्न नवाचारों, सुविधाओं की उपलब्धता एवं उपचार की गुणवत्ता में सुधार के कारण विभिन्न स्तर के चिकित्सालयों में भर्ती रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है।समस्त चिकित्सालयों में भर्ती रोगियों की स्थिति का आकलन करने पर पाया गया कि अनेक रोगी पूर्णतया स्वस्थ तथा चलने फिरने में सक्षम थे, उनको बुखार भी नहीं था। ये रोगी केवल प्लेटलेट्स की कमी के भय के कारण चिकित्सालय में भर्ती थे। सभी चिकित्सालयों में मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देशित किया गया कि इस प्रकार के रोगियों की उचित काउंसलिंग एवं परामर्श के उपरांत छुट्टी की जा सकती है।


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