संतान की लंबी आयु की कामना के साथ महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका व्रत रखकर माता लक्ष्मी के दरबार में किया दर्शन पूजन

ज्युतिया पर्व पर व्रती महिलाओं की भीड़ कुंडों तालाबो पर उमगी। परम्परा के अनुसार महिलाएं यह जीवित पुत्रिका का व्रत निराजल रह कर अपने पुत्र के दीर्घायु की कामना व पति सहित परिवार के सुख समृद्धि की कामना के लिए करती है। पूरे कुण्ड तालाब परिसर के आस पास पहुँच कर माला ,फूल ,फल ,मिष्ठान का भोग लगा कर कहानी किस्सा के साथ व्रत कर दूसरे दिन जल पीकर इस व्रत का पारण करती है इस व्रत  के पूजन के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने माता लक्ष्मी के दरबार मे पहुँच कर जय जय कार के उद्घोष के साथ पूजन अर्चन किया। 

भारी भीड़ को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी जिन्होंने बड़े सूझ बूझ से लाइन लगवा कर लोगो को दर्शन पूजन कराया माता लक्ष्मी के दरबार को आकर्षक ढंग से सजाया गया भोर से ही माँ के दर्शन पूजन का क्रम शुरू हो गया व्रती महिला एवं मन्दिर के महन्त ने इस पूजन के बारे में विस्तार से बताया।

हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत का बहुत महत्व है. इस व्रत को माताएं अपने संतान की लंबी आयु, उन्नति, सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए रखती हैं. संतान की मंगल कामना के लिए जितिया व्रत में माताएं कठोर निर्जला व्रत रखती हैं, और विधिवत पूजन अर्चन करती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान की आयु लंबी होती है। कालांतर में भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे संतान को अपना सर्वस्व पुण्य फल देकर जीवित कर दिया था। इसके लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के पुत्र को जीवित्पुत्रिका कहा गया। उस समय से हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत मनाया जाता है।


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