बाबा श्री बटुक भैरव की सजी त्रिगुणात्मक श्रृंगार की दिव्य झांकी, भक्तों ने लगाई हाजिरी

माँ काली पुत्र और भगवन शिव के अवतार माने जाने वाले बाबा बटुक भैरव नाथ जी का वार्षिक त्रिगुणात्मक श्रृंगार आज दिनांक 15 दिसम्बर को वाराणसी के कमच्छा स्थित प्राचीन बटुक भैरव मंदिर में संपन्न हुआ। बाबा बटुक भैरव नाथ जी को संकटों का नाश करने वाला, भय और दुःख को दूर करने वाला देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में बाबा बटुक भैरव नाथ जी को साहस, सुरक्षा और न्याय के प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। भगवान बटुक भैरव की महिमा से संबंधित कथा के अनुसार, वे भगवान शिव के अवतार हैं, जो अपने भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं और जीवन में सकारात्मकता लाते हैं। इसीलिए उन्हें "संरक्षक देवता" के रूप में जाना जाता है। 

कार्यक्रम के आयोजक महंत जितेंद्र मोहन पुरी "विजय गुरु" ने बताया कि आज दिनांक 15 दिसम्बर को प्रातः 4 बजे बाबा का पंचामृत स्नान करने के बाद 51 किलो सफ़ेद बेला के फूलों से सात्विक श्रृंगार किया गया तत्पश्चात सात्विक विधि से पूजन व प्रातः आरती की गयी। सायं 4 बजे विभिन्न प्रकार के सुगंधित फूलों से तथा राजसी वस्त्र पहना कर बाबा का राजसी श्रृंगार किया गया जिसके बाद विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से बाबा को छप्पन भोग लगाया गया | सायं 7 बजे से महन्त जितेंद्र मोहन पूरी जी के सानिध्य में लोक कल्याण हेतु रूद्र बटुक महायज्ञ किया जो रात्रि 10 बजे तक अनवरत चलता रहा। इस विशेष यज्ञ के लिए मंदिर प्रांगण में स्थित हवन कुंड को साल में एक बार ही पूर्ण रूप से खोला जाता है जिसकी गहराई तकरीबन 6 फीट तक होती है।

साकला, विभिन्न प्रकार के मेवा, धान का लावा, शहद, बताशा तथा शुद्ध देशी घी इत्यादि सामग्रियों से यह हवन किया जाता है जिसमे सम्मलित होने के लिए सिर्फ वाराणसी ही नहीं देश के अलग अलग हिस्सों से भक्तगण आते हैं। इस अवसर पर रात्रि 8 से 9 बजे तक बाबा की विशेष आरती की गयी। रात्रि 10 बजे से बाबा का तामसी श्रृंगार कर तामसी भोग अर्पण किया गया तथा चक्रासन पूजन किया गया ।सोमवार दिनांक 16 दिसंबर को पूर्वान्ह 11 बजे से मंदिर प्रांगण में बटुक पूजन शुरू होगा जिसमे विभिन्न स्थानीय मठों के अलावा बाहर से भी आये तकरीबन 1100 बटुकों का महन्त जितेंद्र मोहन पुरी जी और उनके शिष्यों द्वारा पूजन कर भोजन कराया जायेगा। जिसके बाद विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जायेगा। इस भंडारे में लगभग 5000 व्यक्तियों के लिए बाबा का प्रसाद की व्यवस्था की गयी है।इस अवसर पर महंत दीपक पुरी, महंत भास्कर पुरी एवं महंत राकेश पुरी सहित अनेको शिष्यगण भी उपस्थित थे ।भारत भर में भगवान बटुक भैरव के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन काशी में स्थित गुरु शिष्य परंपरा को आज भी निभाने वाले इस मंदिर का अपना अलग ही स्थान है जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु उनकी कृपा पाने के लिए आते हैं। बाबा बटुक भैरव जी की पूजा से न केवल भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। बाबा बटुक भैरव जी के प्रति श्रद्धा और विश्वास से जुड़ा यह आयोजन यह संदेश देता है कि हर कठिनाई का समाधान साहस और ईश्वर में अटूट विश्वास से संभव है।

Post a Comment

Previous Post Next Post