प्रयागराज महाकुंभ से होकर काशी में प्रथम आगमन पर श्रृंगेरी शारदा पीठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती स्वामी का रथयात्रा चौराहे पर अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी,अन्नपूर्णा मंदिर महंत सुभाषपूरी व श्रृंगेरी मठ के प्रबंधक चेल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद, चेल्ला सुब्बा राव आदि ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।सर्वप्रथम शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती ने रथ पर विराजमान मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं माल्यार्पण किया। तत्पश्चात शोभायात्रा की शुरुआत हुई। रथयात्रा चौराहे से शुरू शोभायात्रा में सबसे आगे बैंड-बाजा, उसके पीछे शंखनाद करते हुए हुए बटुक, उसके पीछे डमरू दल, उसके पीछे शहनाई वादन और उसके पीछे दक्षिण से विशेष रुप से शोभायात्रा के लिए आए नादस्वरम का दल था। उसके पीछे रथ पर विराजमान मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा थी और उसके पीछे विशेष रुप से बनाई गयी कार के उपर शंकराचार्य विराजमान थे। शोभायात्रा में वैदिक मंत्रोच्चार करते हुए वैदिक ब्राह्मण चल रहे थे।
महमूरगंज स्थित श्रृंगेरी मठ पहुंचने काशी नरेश अनंत नारायण सिंह ने माल्यार्पण कर शंकराचार्य का स्वागत किया। तत्पश्चात शंकराचार्य विधु शेखर भारती स्वामी ने श्रृंगेरी मठ के नवनिर्मित गेट का लोकार्पण किया। मठ के अंदर मार्ग के दोनों और महिलाए हाथों में आरती की थाल लिए हुई थी जबकि पुरुष पुष्प वर्षा कर रहे थे। श्रृंगेरी मठ पहुंचने पर सर्वप्रथम शंकराचार्य विधु शेखर भारती ने मठ में स्थापित हनुमान मंदिर में दर्शन किया एवं चंद्रमौलीश्वर भगवान की पूजा की।श्रृंगेरी मठ के मुख्य हाल में काशी नरेश अनंत नारायण सिंह, महंत शंकर पुरी एवं चेल्ला चिंतामणि गणेश ने शंकराचार्य श्री श्री विधु शेखर भारती स्वामी की पाद्य पूजा की। पुरे कार्यक्रम के दौरान पं प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी, चेल्ला सुब्बा राव, पं विशेश्वर शास्त्री द्रविड़, प्रोफेसर राजाराम शुक्ल, महापौर अशोक तिवारी, अनिल नारायण, चंद्रमौली उपाध्याय, बृजभूषण ओझा आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।