प्रेमानंद महाराज जी की पदयात्रा आज रात फिर से शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में बृजवासी इस यात्रा में शामिल होने के लिए एकत्रित हुए। पहले जिन लोगों ने इस यात्रा का विरोध किया था, उन्होंने अब उनका भव्य स्वागत किया और अपनी पूर्व की असहमति के लिए माफी भी मांगी।
इस यात्रा के दौरान प्रेमानंद महाराज जी ने हमेशा की तरह विरोधों का शांतिपूर्वक सामना किया और अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित रखा। उनका मानना है कि संतों की असली महानता किसी भी स्थिति में शांत रहकर अपने धर्म और कर्तव्यों का पालन करने में है।इस घटना ने यह साबित कर दिया कि संतों की सच्ची पहचान उनके आचार-व्यवहार और उनके संयम में है। वृंदावन में प्रेमानंद महाराज जी की पदयात्रा न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक है, बल्कि यह एक संदेश भी देती है कि जीवन में शांति और धैर्य बनाए रखना ही सबसे बड़ा कार्य है।