मद्देशिया वैश्य सभा की 26वीं वार्षिक कलश यात्रा और बाबा श्री काशी विश्वनाथ का सामूहिक जलाभिषेक शुक्रवार को भक्ति-भाव और श्रद्धा से सम्पन्न हुआ। लगातार हो रही बारिश के बावजूद सैकड़ों श्रद्धालु महिलाएं, कन्याएं और पुरुष अपने वार्षिक संकल्प के साथ आयोजन में उपस्थित रहे और क्रमबद्ध तरीके से बाबा का अभिषेक कर पूजा संपन्न की। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. राजेन्द्र प्रसाद घाट पर कलशों में पवित्र जल भरकर संकल्प और पूजन से हुई।
सभा के महाराजा के चित्र पर माल्यार्पण व आरती की पारंपरिक क्रिया सम्पन्न हुई। बैंड-बाजे व शहनाई की धार्मिक धुनों के बीच श्रद्धालुओं द्वारा बार-बार किए गए “हर-हर महादेव” के उद्घोष ने जन-समूह में भक्तिपूर्ण वातावरण बनाए रखा। यात्रा में शामिल श्रद्धालु हाथों में कलश लेकर, काँधे पर रामनामी थामे और ललाट पर चंदन के त्रिपुंड के साथ चलते दिखे — महिलाओं और पुरुषों दोनों की आम उपस्थिति आयोजन की एक जीवंत तस्वीर थी। यात्रा का प्रमुख आकर्षण रथ पर विराजित शिव–पार्वती का विग्रह रहा, जिसके सामने श्रद्धालु नमन कर रहे थे और विशेष रूप से पंचांगानुसार गीत व भजन चलते रहे। कलश यात्रा का मार्ग डॉ. राजेन्द्र प्रसाद घाट से आरंभ होकर दशाश्वमेध, गोदौलिया, बांसफाटक होते हुए ढुंढिराज गणेश गेट नंबर एक तक गया और वहीं से बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश कर आयोजक और श्रद्धालु बारी-बारी से जलाभिषेक के लिए कतारबद्ध हुए। आयोजकों ने बताया कि क्रमबद्ध व्यवस्था और स्वेच्छिक संयम के कारण भारी भीड़ के बावजूद आयोजन शांतिपूर्ण और सुचारू तरीके से पूरा हुआ। सभा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र गुप्ता ने उपस्थित श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह परंपरा और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि लगातार बारिश के बावजूद लोगों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि धार्मिक आस्था व सांस्कृतिक रीतियाँ आज भी लोगों के जीवन में मजबूती से जमी हैं। आयोजकों ने स्वयंसेवकों, मंदिर प्रबंधक और स्थानीय प्रशासन के सहयोग के लिए भी धन्यवाद प्रकट किया। स्थानीय लोग व आगंतुकों ने आयोजन को अनुशासित और भक्तिभाव से भरा बताया। कई लोगों ने कहा कि इस तरह की सामूहिक पूजा-यात्राएँ सामाजिक मेलजोल और संस्कृति को एकत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आयोजन के बाद सभा ने आगे के कार्यक्रमों और परंपरागत गतिविधियों को जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया।