राष्ट्रीय हथकरघा प्रदर्शनी में पारंपरिक बुनाई और छात्र नवाचार की अद्भुत झलक

 दृश्य कला संकाय के अहिवासी कला दीर्घा में ग्यारहवें हथकरघा दिवस के अवसर पर टेक्सटाइल डिजाइन सेक्शन के विद्यार्थियों द्वारा दो दिवसीय 'राष्ट्रीय हथकरघा प्रदर्शनी' का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न पारंपरिक बुनाई केंद्रों से संकलित दुपट्टों और साड़ियों के साथ-साथ विद्यार्थियों द्वारा हथकरघे पर बनाए गए स्वनिर्मित उत्पाद जैसे वॉल हैंगिंग, मफलर, बुनाई की विभिन्न विधियों और हस्तचित्रित अलंकरणों को प्रदर्शित किया गया। 

प्रदर्शनी का उद्देश्य दर्शकों को हथकरघा बुनाई की विविधता और सांस्कृतिक महत्व से परिचित कराना रहा। दर्शकों ने प्रदर्शनी की भूरि-भूरि सराहना की। कार्यक्रम का निर्देशन प्रोफेसर जसविंदर कौर द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि “हथकरघा एक पारंपरिक विधि है जिसमें बिना बिजली के कपड़े बनाए जाते हैं। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और बुनकरों की रचनात्मकता का प्रतीक है।” उन्होंने आगे कहा कि हथकरघा कपड़े पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और इनमें क्षेत्रीय विविधता, अनूठे डिजाइन और शिल्प कौशल की झलक मिलती है। यह उद्योग खासकर ग्रामीण भारत में लाखों लोगों को रोजगार देता है। प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर डॉ. किरण गुप्ता, डॉ. राजीव मंडल, डॉ. महेश सिंह, सुरेश नायर, ज्योतिका और नम्रता सहित कई प्राध्यापक एवं कला प्रेमी उपस्थित रहे।

Post a Comment

Previous Post Next Post