सात वार नौ त्योहार की नगरी काशी में श्री गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। केदार खंड स्थित स्वयंभू चिंतामणि गणेश मंदिर में सुबह से ही व्रती महिलाएं और भक्त पूजा-अर्चना में लीन रहे। मान्यता है कि चिंतामणि गणेश श्री काशी विश्वनाथ तक की सभी चिंताओं को हरते हैं, इसलिए यहां वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यह इकलौता मंदिर है जहां गणेश जी सपरिवार निवास करते हैं।
माघ मास कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी के व्रत में महिलाएं पुत्र की सुख-समृद्धि के लिए दिनभर उपवास रखती हैं और चंद्रोदय के बाद अर्घ्य अर्पित करती हैं। श्रद्धालु 56 विनायक सहित सभी गणेश मंदिरों में दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। महंत सुब्बाराव के अनुसार, गणेश जी की आराधना में दुर्वा घास, धान का लावा और बेसन के लड्डू का विशेष महत्व है। दुर्वा चढ़ाने से धन, लावा से यश-कीर्ति और लड्डू से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि 40 दिन लगातार पूजा करने से दुख-दरिद्रता दूर होती है और मन्नत पूरी होने पर नारियल अर्पित किया जाता है।काशी खंड में चिंतामणि गणेश जी को लंबोदर विनायक और केदार खंड में चिंतामणि नाम से जाना जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। भाद्रपद मास की चतुर्थी पर यहां 11 दिन तक भव्य उत्सव, शोभायात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जिसमें विशिष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया जाता है।