प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की हकीकत वाराणसी के सेवापुरी ब्लॉक के गुड़िया गांव में देखने को मिल रही है, जहां छह महीने से सामुदायिक शौचालय पर ताला लटका है। जंग लगे इस ताले और टूटी हुई व्यवस्था के कारण महिलाएं और बच्चे आज भी बरसात के मौसम में कीचड़ भरे रास्तों से गुजरकर खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।गांव के मनोज कुमार, बच्चन बिंद और सत्य नारायण बिंद बताते हैं कि शौचालय बनाने में सरकारी धन खर्च तो हुआ, लेकिन सुविधा कभी नहीं मिली। शौचालय के अंदर पानी की टंकी नहीं, नल नहीं, सफाई व्यवस्था ठप है। उन्होंने कहा कि “यह महिलाओं के लिए बेहद अपमानजनक स्थिति है।"ग्रामीणों का आरोप है कि "सरकारी योजनाएं गांव तक सिर्फ उद्घाटन तक पहुंचती हैं, फिर उन्हें कोई देखने नहीं आता।" सालों से ऐसे कई निर्माण बस कागजों की खानापूर्ति बनकर रह जाते हैं, जिससे लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पाता।जब ग्राम प्रधान बसंती देवी से इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि "शौचालय केयरटेकर ने उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी थी।"
उन्होंने भरोसा दिलाया कि "अब जब मामला संज्ञान में आया है, तो जल्द ही मरम्मत कराई जाएगी और शौचालय को पुनः शुरू कराया जाएगा।"शौचालय की दीवारों पर बड़े-बड़े नारे जैसे"स्वच्छ भारत, सुंदर भारत" और "एक कदम स्वच्छता की ओर" तो लिखे गए हैं, लेकिन जमीनी हालात उन नारों को पूरी तरह झूठा साबित कर रहे हैं।
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