गंगा का उफान अब जीवन के साथ मृत्यु को भी प्रभावित कर रहा है। मणिकर्णिका घाट पूरी तरह डूब चुका है। शवों का अंतिम संस्कार अब घाट से 15 फीट ऊपर छत पर किया जा रहा है, जहां एक साथ 8 से 10 चिताएं जल रही हैं। लोगों को 5-6 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।हरिश्चंद्र घाट पर मौजूद रामबली पटेल ने बताया कि दाह संस्कार के लिए 12 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। लोग घंटों तक पानी में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। घाट की गलियां संकरी हैं और रास्ते भी जलमग्न हो चुके हैं, जिससे लकड़ी लाने और शव ले जाने में परेशानी हो रही है।राजेश कुमार, जो एक रिश्तेदार का दाह संस्कार करने पहुंचे थे, ने बताया कि घाट पर शौचालय और साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। बारिश और बाढ़ की वजह से सारी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। गीली लकड़ियों की वजह से चिता जलने में अब 3 के बजाय 5 घंटे तक लग रहे हैं।छविलाल नामक व्यक्ति ने बताया कि वे 20 लोगों के साथ घाट पर आए थे, लेकिन बाढ़ के कारण सभी अलग-अलग जगहों पर बैठे हैं। उनका आधा सामान पानी में बह गया है और लोग पिछले 4 से 5 घंटे से इंतजार कर रहे हैं।काशी के 84 घाटों पर लगी लगभग 10,000 दुकानें बंद हो चुकी हैं। अस्सी घाट पर फूल-माला की दुकान लगाने वाले गोपाल जी कहते हैं, “गंगा स्नान करने वाले नहीं आ रहे, दुकान बंद करनी पड़ी। अब कम से कम 10-15 दिन तक इंतजार करना होगा।
”बाढ़ का पानी अब तक 21 गांवों और 26 शहरी वार्डों में पहुंच चुका है। सैकड़ों एकड़ फसलें बर्बाद हो गई हैं। 4,733 लोग राहत शिविरों में हैं और 1,062 परिवार पूरी तरह विस्थापित हो चुके हैं।डीएम सत्येन्द्र कुमार ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का निरीक्षण किया और बताया कि चोरी व अपराध रोकने के लिए बोट पेट्रोलिंग शुरू की गई है। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शिविरों में महिला पुलिस की तैनाती की गई है। डायल-112 के जरिए किसी भी परेशानी की सूचना दी जा सकती है।