पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में फेशियल अटेंडेंस सिस्टम को लेकर कर्मचारियों में नाराजगी गहराती जा रही है। जुलाई माह में इस व्यवस्था का पालन न करने पर निगम प्रबंधन ने 1344 कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है, जिससे कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया है। आज शाम बनारस के विभिन्न कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की गई है।वेतन रोके गए कर्मचारियों में कौन-कौन शामिल10 अधिशासी अभियंता65 सहायक अभियंता317 अवर अभियंता11 कार्यकारी सहायक66 टेक्नीशियन621 टीजी-2 (इलेक्ट्रिक)98 टीजी-2 (लाइन)अन्य विभागों के कर्मचारी भी सूची में शामिल हैं।निगम के प्रबंध निदेशक कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार, सभी कर्मचारियों को ‘ऊर्जा जनशक्ति’ मोबाइल एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य है। अगर किसी कारण से उपस्थिति दर्ज नहीं होती है, तो रिपोर्टिंग अधिकारी को उसका सत्यापन कर एप पर अपलोड करना होगा। यदि गलत या झूठा सत्यापन होता है, तो संबंधित अधिकारी पर भी कार्रवाई की जाएगी।प्रबंधन का तर्क है कि इस डिजिटल प्रणाली से कार्य में पारदर्शिता आएगी और कर्मचारियों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित हो सकेगी।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अंकुर पांडेय ने फेशियल अटेंडेंस की व्यवस्था को अव्यवस्थित बताया। उन्होंने कहा कि कई जगह नेटवर्क, बिजली और उपकरणों की कमी के कारण कर्मचारी समय पर उपस्थिति दर्ज नहीं कर पा रहे हैं।जब तक सभी कार्यस्थलों पर जरूरी तकनीकी सुविधाएं नहीं उपलब्ध कराई जातीं, तब तक फेशियल अटेंडेंस अनिवार्य न किया जाए।जिन कर्मचारियों का वेतन रोका गया है, उसे तत्काल जारी किया जाए।
संघर्ष समिति ने आज शाम 5 बजे से बनारस के सभी मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। संगठन ने प्रबंधन पर आरोप लगाया कि वह निजी कंपनियों के दबाव में बिजली कर्मियों को जबरन निशाना बना रहा है।बैठक में कर्मचारियों के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रबंधन निजीकरण के पक्ष में है और आठ माह से इसे लागू न कर पाने के कारण अब कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि बिजली कर्मी किसी भी स्थिति में निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे, और इस तरह की उत्पीड़नात्मक नीतियों के खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा।
