गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और अब यह 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। इसका सीधा असर शहर के प्रमुख घाटों पर दिखाई देने लगा है। मणिकर्णिका घाट, जो अंतिम संस्कार के लिए सबसे महत्वपूर्ण घाटों में से एक है, वहां स्थिति चिंताजनक होती जा रही है।जलस्तर के बढ़ने के कारण घाट की सीढ़ियाँ जलमग्न हो गई हैं, जिससे शवदाह की प्रक्रिया में भारी दिक्कत आ रही है। अब शवों को छत पर जलाया जा रहा है, और इसके चलते वहां भी जगह कम पड़ने लगी है। अंतिम संस्कार के लिए नंबर लगाया जा रहा है, जिससे शोकाकुल परिवारों को लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ रहा है।घाट पर कर्मकांड कराने वाले ब्राह्मणों को भी जगह की कमी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बैठने और कार्य करने की जगह नहीं होने से धार्मिक अनुष्ठान ठीक से नहीं हो पा रहे हैं।शहर में चल रही कावड़ यात्रा के कारण श्रद्धालुओं की भारी भीड़ घाटों पर उमड़ रही है। यात्रियों को न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था मिल पा रही है, न ही सुविधाएं।
कई लोगों को खुले आसमान के नीचे घंटों इंतजार करना पड़ा।स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई विशेष वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। लोगों ने मांग की है कि जल्द से जल्द सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से शवदाह की प्रक्रिया के लिए उचित प्रबंध किए जाएं और श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।